राम माधव की 5 साल वापसी, क्या फिर करेंगे जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के लिए करिश्मा?

राम माधव को केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है। वह 2015-20 के बीच भाजपा में महासचिव थे।

राम माधव की वापसी

Ram Madhav Returns: साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सत्ता में आई, तो इसी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में राम माधव का तेजी से उदय हुआ। लेकिन जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने का फॉर्मूला नाकाम हुआ तो इसकी गाज भी राम माधव पर ही गिरी। उन्हें भाजपा से हटाकर वापस आरएसएस भेज दिया गया। उन पर जम्मू-कश्मीर में गलत रणनीति बनाने के आरोप लगे। अब राम माधव की 5 साल के लंबे अंतराल के बाद वापसी हुई है। उन्हें फिर से इसी राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जी किशन रेड्डी के साथ मिली जिम्मेदारी

भाजपा ने 20 अगस्त को केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ राम माधव को जम्मू-कश्मीर का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। राम माधव ने 2014 में जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भाजपा तब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (28 सीटें) के बाद 25 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटें मिली थीं। 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 11 सीटें मिली थीं।

पीडीपी के साथ बनाया फॉर्मूला

जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा और राज्यपाल शासन लागू होने के बाद ये राम माधव ही थे जिन्होंने मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाते हुए गठबंधन सरकार बनाने के लिए पीडीपी के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करवाया। अब भाजपा वही फॉर्मूला दोबारा अपनाने की ओर बढ़ती दिखती है। 18 सितंबर से शुरू होने वाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का रणनीति सबके सामने है।
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