Exclusive: 'राम को होना चाहिए भविष्य का लीडर...', टाइम्स नाउ नवभारत पर सद्गुरू बोले - 'मुझे भारत सरकार ने नहीं ट्रस्ट ने दिया राम मंदिर का निमंत्रण'
टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम 'कण-कण के राम' में सद्गुरू ने राम मंदिर के निमंत्रण पर हो रही राजनीति राम मंदिर आंदोलन, सेक्युलिरिज्म, इंडिया बनाम भारत कंट्रोवर्सी जैसे मुद्दों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने भगवान राम को भविष्य का लीडर भी बताया। आइए पढ़ते हैं सद्गुरू ने क्या-क्या कहा...
टाइम्स नाउ नवभारत पर सद्गुरू
Sadguru on Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले देश में हो रही राजनीति पर सद्गुरू ने खुलकर अपने विचार रखे। उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा और भारत सरकार का एजेंडा बताने वालों के बारे में कहा कि मुझे भारत सरकार या यूपी सरकार की ओर से निमंत्रण नहीं आया है। मुझे श्री राम जन्मभूममि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से निमंत्रण मिला है और मैं इसका आभारी हूं। सद्गुरू ने कहा, हालांकि मेरा शेड्यूल 6 से 8 महीने पहले तय होता है। मैं 22 जनवरी को देश में नहीं रहूंगा इसलिए मैं इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकूंगा।
सद्गुरू ने ये बातें टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम 'कण-कण के राम' में कहीं। चैनल की एडिटर-इन-चीफ नाविका कुमार को दिए साक्षात्कार के दौरान उन्होंने राम मंदिर आंदोलन, सेक्युलिरिज्म, इंडिया बनाम भारत कंट्रोवर्सी जैसे मुद्दों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने भगवान राम को भविष्य का लीडर भी बताया। आइए पढ़ते हैं सद्गुरू ने क्या-क्या कहा...
'500 सालों से आम लोगों ने संभाला अंदोलन'
सद्गुरू ने कहा, राम मंदिर आंदोलन को देखें तो 500 सालों में पूरे आंदोलन को किसी महान नेता ने नहीं संभाला था। इसे 500 सालों से आम लोगों ने संभाला है, हां बीच-बीच में एक-दो नेता जरूर सामने आए। सद्गुरू ने आगे कहा, इतने सालों से लोग एक भावना लेकर चलते रहे, जिन लोगों ने केस दायर किए वे भी सरल और सामान्य लोग ही थे। ट्रस्ट में जो लोग हैं, उनसे मिलिए वे बहुत सामान्य लोग हैं। दुनिया के कितने देशों में ऐसा हुआ है? 22 जनवरी की तारीख वो तारीख है कि जिसका इंतजार पूरा भारत 500 सालों से कर रहा है।
'1947 से 50 तक ही सुधार लेनी चाहिए थी गलतियां'
सद्गुरू ने कहा, कई देशों के जीवन में कई गलतियां होती हैं, दुर्भाग्य से मनुष्य ऐसे ही रहे हैं, लेकिन जब हम कुछ चीजों को फिर से प्राप्त करते हैं तो हमें उन्हें ठीक करना होता है। 8वीं शताब्दी में अरब सेनाओं ने स्पेन पर कब्जा किया, एक-एक चर्च को मस्जिदों में बदल दिया। 13वीं शताब्दी में जब उन्होंने फिर से हासिल किया तो उन्हें फिर से बनाया बिना किसी अपवाद के। सद्गुरू ने भारत के परिपेक्ष में कहा, भारत में यह 1950 से पहले किया जाना चाहिए था। 1947 से 50 तक ये कर लेना चाहिए था। राष्ट्र के सफल होने की क्षमता उसके संसाधनों, राजनति और सेना में नहीं होती, लोगों की भावना में होती है। लोग हारा हुआ महसूस करते हैं तो उनसे कोई बड़ा काम नहीं करवा सकते। ये काम 70 सालों से बाकी है, तो ये एक अच्छा कदम है। काश ये बिना किसी मनमुटाव के होता। उन्होंने कहा, हर कोई जानता है यहां एक मंदिर था, जिन आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट किया उन्होंने गर्व से लिखा कि उन्होंने मंदिर को नष्ट कर दिया। हमें समझना चाहिए था कि सिर्फ लूटपाट के लिए मंदिर को नष्ट नहीं किया गया, ऐसा लोगों की भावनाएं तोड़ने के लिए किया था।
'हम निश्चित से सेक्युलर राष्ट्र नहीं'
देश के सेक्युलर नेचर को बदला जा रहा है? इस सवाल पर सद्गुरू ने कहा, जो लोग ऐसा कह रहे हैं उन्हें एक डॉलर बिल दिखाना चाहिए, उसमें लिखा रहता है कि मुझे गॉड (भगवान) पर भरोसा है। आप इंग्लैंड में किसी भी बड़े कार्यक्रम में जाइए, पादरी के बिना आप कार्यक्रम शुरू नहीं कर सकते। अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दौरान भी यह बात लागू होती है, पादरी के बिना यह नहीं होगा। सद्गुरू ने कहा, सेक्युलर का मतलब धर्मों को खत्म करना, नास्तिक होना नहीं है। सेक्युलर का मतलब हर धर्म के लोगों को भाग लेने का समान अधिकार है। उन्होंने कहा, हम निश्चित रूप से सेक्युलर राष्ट्र नहीं हैं। सरकार हमारे मंदिरों को चला रही है।
'राम को होना चाहिए भविष्य का लीडर'
सद्गुरू ने कहा, राम की बात करें तो उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहते हैं। हम उन्हें भगवान नहीं कर रहे, उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कह रहे हैं। वो सबके सम्मान के पात्र हैं, उनके गुण ऐसे हैं, जिनका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में नफरत, क्रोध को नहीं आने दिया, जो जरूरी था बस वो किया। उन्होंने कहा, राम को पूरे विश्व का भविष्य का लीडर होना चाहिए। हमें ऐसे लोगों जरूरत है जो अपनी बॉयोलाजी से परे सोचें, ऐसे नेताओं की जरूरत है जो अपनी तकलीफों, निजी पंसद- नापसंद से परे सोचें और देखें कि लोगों के लिए अच्छा क्या है। यही राम दर्शाते हैं। सबके लिए जुनून और अपने लिए वैराग्य।
'15 अगस्त 1947 की रात ही हो जाना चाहिए था भारत'
'भारत बनाम इंडिया' विवाद पर सद्गुरू ने कहा, हम अंग्रेजी राष्ट्र नहीं हैं, हम पर अंग्रेजों ने शासन किया। शर्म की बात यह है कि वे कुछ हजार थे और हम लाखों थे। इस देश को किसी अंग्रेजी नाम से पुकारना बेवकूफी है। हमें इसे बदलना चाहिए था। 15 अगस्त 1947 की रात ही इसे भारत हो जाना चाहिए था। भारत लोगों के दिलों-दिमाग में बसा है। इस दौरान एक देश-एक चुनाव पर सद्गुरू ने कहा, जब आपको हर साल पांच से आठ चुनाव लड़ने हैं, तब आप लोगों से समझदारी करने की उम्मीद नहीं करते। इसीलिए मैं एक चुनाव -एक देश पर जोर देता रहा हूं। लोकतंत्र की प्रकृति ऐसी ही है। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री प्रचार करते रहते हैं, उनके पास काम का समय कहां है। उनको वह पद काम करने के लिए दिया गया है, लेकिन उनकी भी अपनी मजबूरी है, वे ऐसा नहीं करेंगे तो बाहर हो जाएंगे।
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