भाजपा विधायक पर बड़ा एक्शन: विधानसभा में अयोग्य घोषित, बलात्कार मामले में सजा के बाद लिया गया फैसला

Ramdular Gond: घटना चार नवंबर 2014 की है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं - 376 (दुष्कर्म), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधायक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

BJP MLA Ramdular Gond

रामदुलार गोंड अयोग्य घोषित

तस्वीर साभार : भाषा

Ramdular Gond: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के दुद्धी से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को बलात्कार के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। गोंड को नौ साल पहले एक लड़की से बलात्कार के मामले में हाल में 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि को दो या उससे अधिक साल की कैद होने पर दोषसिद्धि की तारीख से सदन की सदस्यता से अयोग्य माना जाएगा। इतना ही नहीं सजा पूरी होने के बाद अगले छह साल के लिए वह सदन की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होगा।

15 दिसंबर को सोनभद्र में एमपी/एमएलए अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) एहसान उल्लाह खान ने अभियुक्त पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो पीड़िता के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बलात्कार पीड़िता अब शादीशुदा है और आठ साल की बच्ची की मां है। विशेष लोक अभियोजक सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने बताया था कि अदालत ने 12 दिसंबर को विधायक को दोषी करार दिया था और सजा सुनाने के लिए 15 दिसंबर की तारीख तय की थी।

2014 में किया था बलात्कार

त्रिपाठी ने बताया था कि घटना चार नवंबर 2014 की है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं - 376 (दुष्कर्म), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधायक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। घटना के समय विधायक की पत्नी ग्राम प्रधान थीं। पीड़ित लड़की के भाई की शिकायत पर म्योरपुर थाने में रामदुलार गोंड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। गोंड उस समय विधायक नहीं थे और मामले की सुनवाई पॉक्सो अदालत में हो रही थी। गोंड से विधायक निर्वाचित होने के बाद मामले की सुनवाई एमपी/एमएलए के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दी गई थी।

पहले भी कई जनप्रतिनिधियों ने गंवाई है सदस्यता

उत्तर प्रदेश में इसके पहले भी कई जनप्रतिनिधियों को अदालत से सजा सुनाये जाने के बाद अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है। नफरत भरे भाषण मामले में अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद अक्टूबर 2022 में रामपुर के समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आजम खान और फरवरी 2023 में सरकारी काम में रुकावट पैदा करने एवं धरना-प्रदर्शन मामले में सजा सुनाये जाने के बाद स्वार के उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था। इसके अलावा, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा से जुड़े एक मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाये जाने के बाद मुजफ्फरनगर के खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को अक्टूबर 2022 से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वहीं, बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्नाव के बांगरमऊ निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

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