Rashtriya Rifles: राष्ट्रीय राइफल्स से यूं ही नहीं आतंकी खाते खौफ, शानदार इतिहास

Rashtriya Rifles: राष्ट्रीय राइफल्स, भारतीय फौज की यूनिट है जो आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाती रहती है। जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑलआउट की जिम्मेदारी इनके कंधों पर है।

राष्ट्रीय रायफल्स के जवान आतंकियों के खिलाफ चलाते है ऑपरेशन

मुख्य बातें
  • आर्मी चीफ वी एन शर्मा ने किया था गठन
  • शुरुआत में 6 बटॉलियन बनाई गईं
  • तीन जम्मू-कश्मीर और तीन पंजाब में थीं तैनात

Rashtriya Rifles: गुरुवार को पुंछ के भीमबर(Poonch terror attack) में आतंकियों ने सेना के वाहन को निशाना बनाया जिसमें पांच जवान शहीद हो गए। ये सभी जवान आर्मी की यूनिट राष्ट्रीय राइफल्स से थे। सेना की गाड़ी को जिस तरह से निशाना बनाया गया उस तरह से पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी सैन्य बलों की गाड़ियों पर हमला करते हैं। पुंछ हमले को जानकार आतंकियों का हताशा बता रहे हैं। लेकिन यहां हम बात करेंगे आर्मी की यूनिट राष्ट्रीय राइफल्स(Indian army rashtriya rifles) की जिनसे आतंकी खौफ खाते हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ निर्णायक अभियान ऑपरेशन ऑलआउट(operation all out) की शुरुआत की गई तो जिम्मेदारी राष्ट्रीय राइफल्स को मिली। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में इस यूनिट ने कामयाबी के कई झंडे गाड़े हैं।

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1990 में गठन

राष्ट्रीय राइफल्स को आतंकियों के दुश्मन के तौर पर माना जाता है। जानकारों के मुताबिक जब सेना की इस यूनिट को आतंकियों के सफाए की कमान मिली तो इस यूनिट ने अपनी उपयोगिता को साबित भी किया।आतंकवाद प्रभावित जिलों अनंतनाग, कुपवाड़ा और सोपोर में अगर आतंकियों को इस यूनिट के बारे में भनक लगती है तो वे उस इलाके को छोड़ देते हैं। 1990 में तत्कालीन सेना प्रमुख वी एन शर्मा ने इसका गठन किया और पहले डीजी बनने गौरव लेफ्टिनेंट जनरल पी सी मनकोटिया को मिला। पहले 6 बटालियन के जरिए इस यूनिट ने काम करना शुरू किया जिसमें तीन यूनिट की तैनाती जम्मू-कश्मीर और तीन बटालियन की तैनाती पंजाब में की गई। हालांकि बाद में पंजाब वाली यूनिट को भी जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया।

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