Rashtriya Rifles: राष्ट्रीय राइफल्स से यूं ही नहीं आतंकी खाते खौफ, शानदार इतिहास
Rashtriya Rifles: राष्ट्रीय राइफल्स, भारतीय फौज की यूनिट है जो आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाती रहती है। जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑलआउट की जिम्मेदारी इनके कंधों पर है।
राष्ट्रीय रायफल्स के जवान आतंकियों के खिलाफ चलाते है ऑपरेशन
- आर्मी चीफ वी एन शर्मा ने किया था गठन
- शुरुआत में 6 बटॉलियन बनाई गईं
- तीन जम्मू-कश्मीर और तीन पंजाब में थीं तैनात
1990 में गठन
राष्ट्रीय राइफल्स को आतंकियों के दुश्मन के तौर पर माना जाता है। जानकारों के मुताबिक जब सेना की इस यूनिट को आतंकियों के सफाए की कमान मिली तो इस यूनिट ने अपनी उपयोगिता को साबित भी किया।आतंकवाद प्रभावित जिलों अनंतनाग, कुपवाड़ा और सोपोर में अगर आतंकियों को इस यूनिट के बारे में भनक लगती है तो वे उस इलाके को छोड़ देते हैं। 1990 में तत्कालीन सेना प्रमुख वी एन शर्मा ने इसका गठन किया और पहले डीजी बनने गौरव लेफ्टिनेंट जनरल पी सी मनकोटिया को मिला। पहले 6 बटालियन के जरिए इस यूनिट ने काम करना शुरू किया जिसमें तीन यूनिट की तैनाती जम्मू-कश्मीर और तीन बटालियन की तैनाती पंजाब में की गई। हालांकि बाद में पंजाब वाली यूनिट को भी जम्मू-कश्मीर भेज दिया गया।
कुल 65 बटॉलियन
राष्ट्रीय राइफल्स का आदर्श वाक्य दृढ़ता और वीरता है, इसे एंटी टेररिस्ट यूनिट(anti terrorist unit) के तौर पर भी जाना जाता है और दुनिया भर में सम्मान हासिल है। अगर मौजूदा दौर की बात करें तो इस समय कुल 65 बटालियन है, जिन्हें रोमियो फोर्स, विक्टर फोर्स, डेल्टा फोर्स, किलो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स नाम दिया गया है। इसमें आधी भर्ती इंफैंट्री डिविजन और आधे की तैनाती शेष यूनिट से की जाती है।राष्ट्रीय राइफल्स के जवान समय समय पर सर्च ऑपरेशन चलाते रहते हैं और आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करने का काम करते हैं। जिसे ऑपरेशन ऑलआउट नाम दिया गया है। इसकी वजह से ये आतंकियों के निशाने पर भी होते हैं। इनके पास ना सिर्फ आधुनिक हथियार बल्कि एयरक्राफ्ट भी है। इसके जवान एके -47 से हमेशा लैस रहते हैं। राष्ट्रीय राइफल्स की एक यूनिट ने ऑपरेशन विजय यानी करगिल लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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