Republic Day 2025: अद्भुत दिखेगा कर्तव्य पथ; 16 राज्य बिखेरेंगे चमक; 76वें गणतंत्र दिवस पर ऐसा दिखेगा 'स्वर्णिम भारत'
Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस परेड 2025 में सजने वाली झांकियां अलग ही चमक बिखेरेंगी। इस बार गीता, महाकुंभ और संविधान की झलक देखने को मिलेगी। इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह की थीम 'स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास' है।
republic day Parade jhanki 2025
Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस समारोह में निकलने वाली झांकियों में इस वर्ष भगवत गीता, महाकुंभ 2025, नालंदा विश्वविद्यालय और संविधान के 75 वर्ष की झलक देखने को मिलेगी। कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस की परेड होगी। इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह की थीम 'स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास' है। गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान इस थीम पर 16 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) और केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों की झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। झांकियां भारत की विविध शक्तियों और इसके निरंतर विकसित होते सांस्कृतिक समावेश को प्रदर्शित करेंगी। भाग लेने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में गोवा, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, दिल्ली, दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक गोवा की झांकी में गोवा की सांस्कृतिक विरासत को दिखाया जाएगा। उत्तराखंड की झांकी में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और साहसिक खेल देखने को मिलेंगे। हरियाणा भगवत गीता का प्रदर्शन करेगा। झारखंड 'स्वर्णिम झारखंड : विरासत और प्रगति की विरासत' को अपनी झांकी में दर्शाएगा।
गुजरात की झांकी में 'स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास' की झलक मिलेगी। आंध्र प्रदेश की झांकी में 'एटिकोप्पका बोम्मलु - पर्यावरण अनुकूल लकड़ी के खिलौने' दर्शाए जाएंगे। पंजाब अपनी झांकी में 'पंजाब ज्ञान और बुद्धि की भूमि है' बताएगा। उत्तर प्रदेश की झांकी में 'महाकुंभ 2025 - स्वर्णिम भारत विरासत और विकास' के दर्शन होंगे।
बिहार की झांकी में 'स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास (नालंदा विश्वविद्यालय)' दिखाया जाएगा। मध्य प्रदेश की झांकी में 'मध्य प्रदेश का गौरव : कुनो राष्ट्रीय उद्यान - चीतों की भूमि' होगा। त्रिपुरा 'शाश्वत श्रद्धा : त्रिपुरा में 14 देवताओं की पूजा-खर्ची पूजा' अपनी झांकी में दर्शाएगा।
तमिलनाडु की झांकी
तमिलनाडु की झांकी में 'लक्कुंडी : पत्थर शिल्प का उद्गम स्थल' देखने को मिलेगा। पश्चिम बंगाल की झांकी 'लक्ष्मी भंडार' और 'लोक प्रसार प्रकल्प' - बंगाल में जीवन को सशक्त बनाना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना' विषय पर आधारित है। चंडीगढ़ की झांकी 'चंडीगढ़ : विरासत, नवाचार और स्थिरता का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण' पर आधारित है।
दिल्ली की झांकी
दिल्ली की झांकी में 'गुणवत्ता की शिक्षा' दिखाई जाएगी। दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव की झांकी 'कुकरी मेमोरियल के साथ दमन एवियरी बर्ड पार्क - भारतीय नौसेना के बहादुर नाविकों को श्रद्धांजलि' पर आधारित है।
केंद्र सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग 'भारत का संविधान हमारी विरासत, विकास और पथ-प्रदर्शक की आधारशिला है' विषय पर झांकी प्रस्तुत करेगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय गौरव वर्ष पर 'महिला एवं बाल विकास मंत्रालय - मंत्रालय की व्यापक योजनाओं के अंतर्गत पोषित महिलाओं और बच्चों की बहुमुखी यात्रा' पर झांकी प्रस्तुत करेगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की झांकी में 'लखपति दीदी' को दिखाया जाएगा। पशुपालन और डेयरी विभाग की झांकी 'भारत की देशी गोजातीय नस्लों को सतत ग्रामीण विकास के प्रतीक के रूप में सम्मानित करता है' पर आधारित होगी। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग 'फूलों की झांकी' के माध्यम से भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने वाली झांकी लेकर गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होगा।
तीनों सेनाएं दिखाएंगी तीनों अंगों की संयुक्त झांकी
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में भव्य कर्तव्य पथ पर पहली बार सेना के तीनों अंगों की संयुक्त झांकी नजर आएगी। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच ‘‘संयुक्तता’’ की व्यापक भावना को दर्शाना है। वहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की झांकी में भारत की सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता की झलक दिखाई देगी। झांकी का मुख्य आकर्षण काइनैटिक कल्पवृक्ष से लेकर कुम्हार के चाक पर याढ़ (तमिल वाद्ययंत्र) है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सेना के तीनों अंगों की संयुक्त झांकी में स्वदेशी अर्जुन युद्ध टैंक, तेजस लड़ाकू विमान और उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर के साथ जमीन, जल और हवा में समकालिक अभियान के रूप में युद्ध की स्थिति का परिदृश्य प्रदर्शित किया जाएगा।
त्रि-सेवाओं की झांकी का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत’ होगा। मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘‘एक जनवरी को, मंत्रालय ने 2025 को रक्षा सुधारों के वर्ष के रूप में घोषित किया था और भारत की सैन्य शक्ति की मजबूती के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। झांकी सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण के लिए वैचारिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करेगी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अभियानगत उत्कृष्टता सुनिश्चित होगी।
वहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार इस बार मंत्रालय की झांकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विरासत भी, विकास भी’ मूलमंत्र से प्रेरित है और देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सतत विकास की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करती है। इसमें कहा गया है कि यह झांकी भारत के विकसित राष्ट्र बनने के ‘विज़न 2047’ में संस्कृति और रचनात्मकता के योगदान को रेखांकित करती है।
बयान के अनुसार इस मौके पर संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय की झांकी हमारे देश की अद्वितीय सांस्कृतिक विविधता, रचनात्मकता और सतत विकास की झलक है।...कुम्हार के चाक पर प्राचीन तमिल वाद्य यंत्र याढ़ हमारी परंपरा की गहराई और निरंतरता का प्रतीक है। वहीं, काइनैटिक कल्पवृक्ष जो ‘सोने की चिड़िया’ में बदलता है, हमारी रचनात्मकता और आर्थिक प्रगति का संदेश देता है।
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