छोटके नेताजी, बड़के से कम हैं क्या...अब पंचायतों में भी होने लगी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स
कर्नाटक हावेरी जिले में देवरागुड्डा ग्राम पंचायत के पांच महिलाओं सहित नौ सदस्य पिछले 40 दिनों से बाहर थे। इन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही गांव से बाहर भेज दिया गया था। ये मतदान से ठीक पहले वापस पहुंचे हैं। सत्ता के खेल में अब कर्नाटक के गांवों में भी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स शुरू हो गया है।
कर्नाटक पंचायत चुनाव में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स (फोटो- Pixabay)
अभी तक आपने विधायकों वाली रिसॉर्ट पोलिटिक्स तो खूब देखी होगी, लेकिन अब ये मामला गांवों तक भी पहुंचने लगा है। राज्यों में सरकार गिराने और बनाने वाली रिसोर्ट पॉलिटिक्स का नजारा कर्नाटक के पंचायत चुनावों में देखने को मिला है।
40 दिन का होलीडे
कर्नाटक में कुछ ग्राम पंचायत सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव से पहले हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए कई अलग-अलग जगहों पर ले जाने का मामला सामने आया है। हावेरी जिले में देवरागुड्डा ग्राम पंचायत के पांच महिलाओं सहित नौ सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव से पहले बाहर ले जाया गया था। ये सभी सदस्य मंगलवार को 40 दिन बाहर रहने के बाद फ्लाइट से हुबली पहुंचे, जहां उन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करना था।
पुजारी ने भेजा था बाहर!
मिली जानकारी के अनुसार इस यात्रा को संतोष भट नामक शख्स ने प्रायोजित किया था। संतोष भट एक मंदिर के पुजारी हैं और इसकी प्रबंधन समिति के प्रमुख भी हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि इन्हीं के इशारे पर यहां सदस्यों का चुनाव होता है। भट्ट अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार देवरागुड्डा ग्राम पंचायत में 13 सदस्य हैं। पिछली बार चुनाव के बाद इन्हीं सदस्यों में से एक मलतेश नायर को अध्यक्ष बनाया गया था। इन्हें बनाने और जीताने में संतोष भट का बड़ा हाथ बताया जाता है।
क्यों हुआ खेल
नायर के काम से गांव वाले और संतोष भट दोनों नाराज थे। कहा जाता है कि नायर ने उस समझौते को तोड़ दिया था, जिसके तहत उसे कुर्सी मिली थी। समझौते के तहत नायर को 15 महीने बाद कुर्सी छोड़ देनी थी, उसकी जगह कोई और अध्यक्ष बनता। इससे इतर नायर ने इस्तीफे की जगह अपने लिए सदस्यों का जुगाड़ करने लगा, जिसकी भनक संतोष को लगी और उसने नौ सदस्यों को गांव से बाहर भेज दिया। उसके बाद अविश्वास प्रस्ताव जब लाया गया तो बाहर भेजे गए सदस्यों को बुला लिया गया और नायर के खिलाफ वोटिंग में इन सदस्यों ने भाग लिया। अब नायर की कुर्सी जा चुकी है और संतोष अन्य सदस्यों की सहायता से नए अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी कर रहा है।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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