आरजी कर मामला: आमरण अनशन का 10वां दिन, दो और डॉक्टर्स की हालत बिगड़ी; राजभवन तक निकाली रैली
RG Kar case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या मामले को लेकर जूनियर डॉक्टर्स की भूख हड़ताल 10वें दिन भी जारी है। इस बीच दो और चिकित्सकों की हालत बिगड़ गई है। वहीं इस मामले में विरोध दर्ज कराते हुए जूनियर चिकित्सकों ने राजभवन तक निकाली रैली।
जूनियर डॉक्टर्स का आमरण अनशन 10वें दिन भी जारी।
Kolkata Doctor Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद अपनी मांगों को लेकर पश्चिम बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों का आमरण अनशन सोमवार को 10वें दिन भी जारी है। अधिकारियों ने बताया कि इस बीच दो और चिकित्सकों की तबीयत बिगड़ गयी और उनमें से एक को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पुलस्थ आचार्य को पेट में तेज दर्द के बाद रविवार रात को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कोलकाता मेडिकल कॉलेज की तान्या पंजा की तबीयत बिगड़ी
एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, 'पुलस्थ क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में भर्ती हैं और उनकी हालत बिगड़ गयी है। हमने उनका इलाज करने के लिए एक चिकित्सा बोर्ड का गठन किया है।' कोलकाता मेडिकल कॉलेज की एक और कनिष्ठ चिकित्सक तान्या पंजा की भी दोपहर को तबीयत बिगड़ गयी।
एक प्रदर्शनरत चिकित्सक ने कहा, 'उनकी (तान्या की) हालत ठीक नहीं है और वह अभी प्रदर्शन स्थल पर निगरानी में हैं। हमने अभी यह तय नहीं किया है कि क्या उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है।' इससे पहले, कोलकाता और सिलीगुड़ी शहर में अनशन कर रहे तीन कनिष्ठ चिकित्सकों को उनकी हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है।
जूनियर डॉक्टर्स ने राजभवन तक निकाली रैली
कोलकाता के आर जी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में एक चिकित्सक की कथित बलात्कार के बाद हत्या की त्वरित एवं पारदर्शी जांच की मांग करते हुए प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सकों ने सोमवार को यहां रैली निकाली। चिकित्सकों ने धर्मतला के समीप डोरिना चौराहे से यह मार्च निकाला जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल हुए। इन जूनियर चिकित्सकों ने डोरिना चौराहे पर एक मंच लगा रखा है और वहां कुछ चिकित्सक पांच अक्टूबर से उपवास पर हैं।
देबाशीष हल्दर नामक एक जूनियर चिकित्सक ने कहा, 'सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में जो यह कहा है कि इस अपराध के पीछे केवल एक व्यक्ति था, उसे हम स्वीकार नहीं कर सकते। हम आर जी कर अस्पताल में अपनी बहन के साथ किये गये बलात्कार और हत्या की त्वरित और पारदर्शी जांच की मांग करते हैं।' उन्होंने कहा, 'हम राज्यपाल से मिलने और उनसे हस्तक्षेप करने की मांग करने के लिए राजभवन नहीं जा रहे हैं, बल्कि हम उन्हें अपना संदेश देंगे।' उन्होंने कहा कि जूनियर चिकित्सकों द्वारा राज्यपाल कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपे जाने की संभावना है।
आमरण अनशन कर रहे डॉक्टर्स की कुल संख्या 7
अभी आमरण अनशन कर रहे चिकित्सकों की कुल संख्या सात है जिसमें नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग का एक कनिष्ठ चिकित्सक भी शामिल है जो आज दोपहर को हड़ताल में शामिल हुआ। कनिष्ठ चिकित्सकों की, आरजी कर अस्पताल की घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही जांच की 'धीमी गति' के खिलाफ प्रदर्शन के तौर पर राजभवन तक एक रैली निकालने की भी योजना है।
कनिष्ठ चिकित्सक देबाशीष हलदर ने कहा, 'हमने यह मार्च निकालने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि हमें लगता है कि सीबीआई ने अपना काम उचित तरीके से नहीं किया है। हम मार्च के बाद राजभवन को एक ज्ञापन सौंपेंगे।' इस बीच, मुख्य सचिव मनोज पंत ने रविवार को ‘ज्वाइंट प्लेटफॉर्म ऑफ डॉक्टर्स’ (जेपीडी) को लिखे पत्र में उनसे 15 अक्टूबर को प्रस्तावित प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध किया और कहा कि इसी दिन राज्य सरकार का ‘दुर्गा पूजो कार्निवल’ आयोजित होना है।
उन्होंने जेपीडी को उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए सोमवार दोपहर को स्वास्थ्य भवन में बैठक के लिए आमंत्रित भी किया। अपने ईमेल में पंत ने जेपीडी से कनिष्ठ चिकित्सकों को उनके स्वास्थ्य और उनके हित में आमरण अनशन खत्म करने की सलाह देने का भी आग्रह किया। जेपीडी ने सोमवार को एक बयान में ऐसे समय में कार्निवल आयोजित कराने के राज्य सरकार के फैसले पर 'गहरी निराशा' जतायी, जब 'चिकित्सक और नागरिक, न्याय तथा सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की मांग को लेकर सड़कों पर हैं।'
इसमें कहा गया है, 'कनिष्ठ चिकित्सक 10 दिन से भूख हड़ताल कर रहे हैं, उनमें से तीन अब आईसीयू में हैं, फिर भी सरकार इन गंभीर समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय समारोहों को तरजीह दे रही है।' बयान में कहा गया है, 'जश्न मनाने के संवैधानिक अधिकार का सम्मान करते हुए हम सरकार के कार्निवल को रद्द करने की मांग नहीं करते हैं। साथ ही हम उत्सवों में बाधा डाले बिना शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अपने अधिकार पर भी जोर देते हैं। यह निराशाजनक है कि सरकार ने हमें 15 अक्टूबर को प्रस्तावित प्रदर्शन वापस लेने के लिए कहा है, जिसका उद्देश्य आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों के प्रति एकजुटता दिखाना है।' कनिष्ठ चिकित्सक आरजी कर अस्पताल में बलात्कार एवं हत्या मामले में मृतक चिकित्सक के लिए न्याय, स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम को तत्काल हटाने, कार्यस्थल पर सुरक्षा और अन्य उपायों की मांग कर रहे हैं।
उनकी अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना करने, बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली का कार्यान्वयन और कार्यस्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, ऑन-कॉल रूम और शौचालय के लिए आवश्यक प्रावधान सुनिश्चित करने के वास्ते टास्क फोर्स के गठन की मांग शामिल भी है। पांच अक्टूबर से आमरण अनशन दो चरणों में करीब 50 दिनों तक चले ‘काम बंद’ के बाद शुरू हुआ है। उनका आंदोलन सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अंदर ड्यूटी पर तैनात एक प्रशिक्षु चिकित्सक से नौ अगस्त को कथित तौर पर बलात्कार और फिर हत्या किए जाने की घटना के बाद शुरू हुआ था।
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