Rahul Gandhi : नेता प्रतिपक्ष बने राहुल तो मिलेंगे ये सारे अधिकार और शक्तियां, सुरक्षा भी होगी उच्च स्तर की

Rahul Gandhi : संसदीय प्रणाली में नेता प्रतिपक्ष का पद काफी सम्मानजनक माना जाता है। यह पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। संसद में बहस एवं चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष को खास तरजीह दी जाती है। नेता प्रतिपक्ष बिना किसी नोटिस के सदन में अपनी बात रख सकते हैं।

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नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं राहुल गांधी

Rahul Gandhi : लोकसभा चुनाव 2024 कांग्रेस पार्टी के लिए कई तरीके से फायदेमंद रहा है। इस चुनाव में उसकी सीटें करीब दोगुनी हुई हैं, इस बार उसे नेता प्रतिपक्ष (LoP) का औपचारिक दर्जा मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। कांग्रेस कार्यसमिति ने इस पद के लिए राहुल गांधी का चुनाव करते हुए प्रस्ताव पारित किया है। राहुल यदि इस प्रस्ताव को यदि स्वीकार कर लेते हैं तो वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। इस चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है लेकिन एक निर्दलीय सांसद के उसके साथ आने से उसके सदस्यों की संख्या 100 हो गई है।

नेता प्रतिपक्ष पद के लिए लोकसभा की 10% सीटें जीतना जरूरी

नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए किसी भी पार्टी को लोकसभा की कुल सीटों के 10 प्रतिशत सीटों पर जीत मिलनी चाहिए। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 55 सीटें नहीं जीत पाई थी। इसलिए यह पद औपचारिक रूप से रिक्त रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2019 के आम चुनाव में वह 52 सीटों पर विजयी हुई। 16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस संदसीय दल के नेता जबकि 17वीं लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेता थे।

कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है LoP का पद

संसदीय प्रणाली में नेता प्रतिपक्ष का पद काफी सम्मानजनक माना जाता है। यह पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। संसद में बहस एवं चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष को खास तरजीह दी जाती है। नेता प्रतिपक्ष बिना किसी नोटिस के सदन में अपनी बात रख सकते हैं। यही नहीं लोकसभा सचिवालय में नेता प्रतिपक्ष के लिए कार्यालय की व्यवस्था होती है। लोकसभा सचिवालय भी कई मसलों पर उनकी राय लेगा। सदन में विपक्ष की की पहली और दूसरी पंक्ति में कौन सदस्य बैठेगा इस बारे में भी सचिवालय उनसे राय लेगा।

कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल होता है नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों का सदस्य होता है। इसके अलावा लोकतांत्रिक संस्थाओं के मुखिया के चयन में उसकी भागीदारी रहती है। सीबीआई, सीवीसी, सीआईसी, चुनाव आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के चुनाव में नेता प्रतिपक्ष चयन समिति के सदस्य होते हैं। इस चयन समिति में प्रधानमंत्री के साथ एलओपी को भी रखा जाता है। इसके अलावा लोक लेखा समिति के अध्यक्ष का पद भी आम तौर पर नेता प्रतिपक्ष को दिया जाता है। पीएसी के पास पीएम को भी तलब करने का अधिकार होता है। बड़े सरकारी आयोजनों में एलओपी को उपस्थिति भी जरूरी होती है।

हर महीने करीब 3.30 लाख रुपए वेतन

नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर सुविधाएं, वेतन और भत्ते मिलते हैं। नेता प्रतिपक्ष को करीब हर महीने करीब 3.30 लाख रुपए वेतन बंगला, ड्राइवर और यात्रा करने के लिए कार मिलता है। नेता प्रतिपक्ष की सुरक्षा भी उच्च स्तर की होती है। बंगले में घरेलू स्टाफ की संख्या करीब 14 होती है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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