Rishikesh-Karnaprayag Rail Project: 16 मुख्य सुरंगें, 12 इमरजेंसी टनल... 125 KM लंबी रेललाइन से होगा उत्तराखंड का चौतरफा विकास
Rishikesh-Karnaprayag Rail Project: उत्तराखंड के पांच जिलों (देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली) को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना राज्य के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक परिदृश्य को एक नई दिशा देने जा रही है। यह परियोजना न केवल उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि यह राज्य की आर्थिक रीढ़ को भी मजबूत करेगी।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना (फोटो साभार: @pushkardhami)
Rishikesh-Karnaprayag Rail Project: उत्तराखंड के पांच जिलों (देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली) को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना राज्य के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक परिदृश्य को एक नई दिशा देने जा रही है। इस परियोजना के तहत 125.20 किलोमीटर लंबी रेललाइन का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
- कुल लंबाई: 125.20 किमी
- सुरंगों की कुल लंबाई: 213.57 किमी
- 16 मुख्य सुरंगें: 104 किमी
- 12 इमरजेंसी टनल: 97.72 किमी
- क्रॉस पैसेज: 7.05 किमी
- 12 नए स्टेशन, 19 मुख्य और 38 छोटे पुल
- सबसे लंबी सुरंग: 14.58 किमी
- सबसे लंबा पुल: 500 मीटर (श्रीनगर, पुल संख्या 09)
- सबसे ऊंचा पुल: 46.9 मीटर (गौचर, पुल संख्या 15)
- सबसे लंबा स्पैन ब्रिज: 125 मीटर (देवप्रयाग, पुल संख्या 06)
परियोजना का उद्देश्य
इस रेल परियोजना का मुख्य उद्देश्य चारधाम यात्रा को सुगम बनाना, उत्तराखंड के पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना, स्थानीय व्यापार और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना तथा पर्यटन को प्रोत्साहन देना है। रेल मार्ग से न केवल यात्रा समय और लागत में कमी आएगी, बल्कि क्षेत्र में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
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तकनीकी चुनौतियां और समाधान
हिमालयी क्षेत्र की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और जटिल भूगर्भीय संरचना को देखते हुए परियोजना के फाइनल लोकेशन सर्वे (FLS) में अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया। सर्वे में अमेरिकी वर्ल्ड व्यू-2 सैटेलाइट की 50 सेमी रिज़ोल्यूशन वाली इमेजरी का उपयोग कर हाई-एक्युरेसी डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) तैयार किया गया।
FLS कार्य का परामर्श IIT-रुड़की को सौंपा गया, जिसका नेतृत्व संस्थान के निदेशक ने किया। इस परियोजना के लिए तीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक समिति भी गठित की गई
- एम. रविंद्र (पूर्व चेयरमैन, रेलवे बोर्ड) – रेलवे विशेषज्ञ
- डॉ. जे. गोलशर (जियोकंसल्ट, ऑस्ट्रिया) – सुरंग विशेषज्ञ
- डॉ. वी. के. रैना – पुल विशेषज्ञ
प्रमुख नगरों को मिलेगा लाभ
यह रेल मार्ग देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग जैसे प्रमुख नगरों को जोड़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों के लोगों को बेहतर संपर्क सुविधा मिलेगी और क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना न केवल उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि यह राज्य की आर्थिक रीढ़ को भी मजबूत करेगी।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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