'ठाकुर का कुआं' विवाद पर RJD MP मनोज झा ने तोड़ी चुप्पी, कहा- पहले ही कहा कि इसका संबंध किसी जाति विशेष से नहीं है

राजद नेता ने कहा कि उसके बाद कुछ प्रतिक्रियाएं हुईं, लेकिन हमने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, क्योंकि, संसद के पटल पर मेरे द्वारा दिए गए भाषण को जो कोई भी पूरा सुन लेगा, व्हाट्सएप फॉरवर्ड नहीं, तो यह बात मानेगा कि इसका किसी भी जाति विशेष से कोई ताल्लुक नहीं है।

राज्यसभा में बोलते हुए राजद सांसद मनोज झा

राजद सांसद मनोज झा ने 'ठाकुर का कुआं' कविता विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उन्होंने तो पहले ही कह दिया था कि ये कविता किसी जाति विशेष से संबंधित नहीं है। मनोज झा ने कहा कि आज धमकी में अपशब्द कहे जा रहे हैं, गला काट लूंगा, ये सब कहा जा रहा है। लेकिन, मैं उन सब में जाना ही नहीं चाहता। मेरा समाज और यह देश बहुत ही विशाल है और इसके बाद भी मैं एक कविता का पाठ नहीं कर सकता।

महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान कही थी कविता

राजद सांसद मनोज झा ने ये कविता महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में कही थी। जिसपर अब विवाद हो गया है। इसे लेकर मनोज झा ने का कहा- "सबसे पहले मैं बता दूं कि वह कविता 1981 ईस्वी में लिखी गई, ओमप्रकाश वाल्मीकि के द्वारा। मैंने उस कविता को पढ़ने से पहले ही कहा कि इसका संबंध किसी एक जाति विशेष से नहीं है। मैंने कहा कि वह ठाकुर मेरे अंदर भी हो सकता है। वह प्रभुत्व का प्रतीक है। वह किसी भी जाति धर्म में हो सकता है। उसके बाद मैंने वह कविता पढ़ी और संदर्भ था महिला आरक्षण बिल में पिछड़ी जाति के आरक्षण का।"

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