झारखंड के रोहिणी गांव से उठी विद्रोह की चिंगारी से कांप गई थी अंग्रेजी हुकूमत, पढ़ें तीन सिपाहियों की अनसुनी कहानी

Independence Day: देश को आजाद करवाने में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी कुर्बानियां दी। इनमें से कुछ ऐसे हुए, जिनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। इसी में शामिल है झारखंड का रोहिणी गांव, जहां तीन सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिससे उसकी हुकूमत कांप उठी थी।

रोहिणी गांव।

Independence Day: सन् 1857 की क्रांति में संघर्ष, वीरता और शहादत की ऐसी कई दास्तानें हैं, जो तारीख के पन्नों का अमिट हिस्सा होकर भी जन-जन तक नहीं पहुंच पाईं। ऐसी ही एक दास्तान है झारखंड के देवघर जिले में रोहिणी गांव के तीन नायकों अमानत अली, सलामत अली और शेख हारून की, जिनके विद्रोह से अंग्रेजी हुकूमत कांप उठी थी।

कैसे उठी विद्रोह की चिंगारी?

इतिहास के पन्ने बताते हैं कि अजय नदी के किनारे स्थित रोहिणी गांव में मेजर मैकडोनाल्ड के कमान में ईस्ट इंडिया कंपनी की थल सेना की 32वीं रेजिमेंट तैनात थी। 1857 में मेरठ में भड़के सिपाही विद्रोह और अंग्रेजों के जुल्म की खबरें दीवान अजीमुल्लाह खां के मुखबिरों के जरिए रोहिणी की सैनिक छावनी तक पहुंची थी। इसी रेजिमेंट में बतौर घुड़सवार सिपाही तैनात रहे अमानत अली, सलामत अली और शेख हारून को अंग्रेजों के जुल्म की खबर मिली तो उनका खून खौल उठा।
वह 12 जून 1857 की तारीख थी, जब मेजर मैकडोनाल्ड एवं उनके दो साथी अफसर नार्मन लेस्ली तथा डॉ. ग्रांट घर पर शाम की चाय पी रहे थे। अमानत अली, सलामत अली और शेख हारून ने उसी वक्त उन पर हमला कर दिया। लेफ्टिनेंट नॉर्मन लेस्ली मौके पर मारा गया, जबकि डॉ. ग्रांट और एक अन्य अफसर घायल होने के बाद जान बचाकर किसी तरह भागे।
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