नौकरी के लिए जमीन मामला: लालू-तेजस्वी और तेज प्रताप को बड़ी राहत, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दी जमानत
नौकरी के लिए जमीन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और उनके बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को जमानत दे दी।
लालू, तेजस्वी और तेज प्रताप को जमानत
- नौकरी के लिए जमीन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बड़ी राहत
- लालू यादव, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को राऊज एवेन्यू कोर्ट से मिली जमानत
- साल 2004 से 2009 के बीच UPA सरकार में लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान घोटाला हुआ
Bail to Lalu-Tejashwi Yadav: नौकरी के लिए जमीन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को आज बड़ी राहत मिली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और उनके बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को जमानत दे दी। इन्हें 1-1 लाख रुपये के जमानत बांड भरने पर जमानत दे दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।
तेजस्वी बोले, ये हमारे खिलाफ साजिश इस मामले पर तेजस्वी ने कहा, ये लोग हमारे खिलाफ साजिश करते रहते हैं, और एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। इस केस में कहीं भी दम नहीं है और हम लोगों की जीत तय है।
क्या है रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाला?
साल 2004 से 2009 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान ये घोटाला हुआ था। आरोप है कि रेल मंत्री रहने के दौरान लालू के परिवार को कथित तौर पर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में नियुक्तियां दी गई थी। आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू और उनके कुछ खास लोग रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर जमीन का सौदा कर रहे थे। आरोप लगे कि जो रेलवे में नौकरी पाना चाहते थे, ऐसे सैकड़ों लोगों ने अपनी जमीन लालू यादव के परिवार या उनके करीबियों के नाम कर दी थी।
कब और कैसे खुला खेल?
पूरा मामला तब खुला, जब कुछ लोगों ने अपनी जमीन तो दे दी, मगर उन्हें नौकरी नहीं मिली। मामला सामने आने के बाद जब जांच एजेंसी ने शिकंजा कसा तो सीबीआई ने अदालत को ये बताया कि उसके पास करीब 1450 आवेदन हैं जो रेल मंत्री या जोनल मैनेजर को भेजे गए थे। सीबीआई ने ये भी दावा किया कि कुछ अहम दस्तावेज भी उसके पास मौजूद हैं, जिसके तार लालू परिवार से जुड़े हैं। इसी के बाद से छापेमारी का सिलसिला शुरू हुआ था।
आरोप है कि 2004 से 2009 तक भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह डी पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए. के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी।
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