मनीष सिसोदिया की जमानत पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, CBI ने बताया घोटाले का मास्‍टरमाइंड, कहा- बेल दी तो पूरा हो जाएगा इनका मकसद

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली की एवेन्यू कोर्ट ने शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद मनीष सिसौदिया की नियमित जमानत की मांग वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट अब इस पर 30 अप्रैल को फैसला सुनाएगा। वहीं CBI ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मनीष सिसौदिया जमानत मिलने से आगे की जांच और गवाहों को प्रभावित कर सकते है।

मनीष सिसोदिया की जमानत पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Delhi Excise Policy Case: राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका को सुरक्षित रख लिया। उन्होंने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले से संबंधित सीबीआई और ईडी मामलों में नियमित जमानत की मांग की है। जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि इस कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी जमानत खारिज कर दी थी। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने ईडी और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद 30 अप्रैल को फैसला सुनाने के लिए सुरक्षित रख लिया । मनीष सिसौदिया की ओर से वकील विवेक जैन, ईडी की ओर से जोहेब हुसैन और सीबीआई की ओर से पंकज गुप्ता पेश हुए। सुनवाई के दौरान आम चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका को सिसौदिया के वकील ने वापस ले लिया। सीबीआई के अभियोजक पंकज गुप्ता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सिसौदिया इस मामले में मुख्य आरोपी हैं और वह जमानत के हकदार नहीं हैं।

भ्रष्टाचार समाज के लिए कैंसर

सीबीआई के अभियोजक पंकज गुप्ता ने आगे कहा कि आरोपी जमानत देने के लिए पीएमएलए की कठोरता को पूरा नहीं करता है। वह शक्तिशाली राजनीतिक शख्सियत हैं। जांच शुरुआती चरण में है। आगे कहा गया कि सबूतों को नष्ट करने और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप हैं, जिससे जांच में बाधा आ सकती है। पंकज गुप्ता ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार समाज के लिए कैंसर है।
6 अप्रैल को सिसौदिया की नियमित जमानत याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से कोई देरी नहीं हुई। ईडी ने राउज एवेन्यू अदालत के समक्ष कहा कि इसके बजाय, यह आरोपी व्यक्तियों द्वारा दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में तुच्छ आवेदन दायर करके किया गया था। मनीष सिसौदिया के वकील की दलीलों का मुख्य जोर मुकदमे में देरी पर था। यह तर्क दिया गया कि मुकदमे की कार्यवाही कछुआ गति से चल रही है। ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने देरी की दलील का विरोध किया। हुसैन ने कहा कि मुकदमा धीमी गति से आगे नहीं बढ़ा है और अभियोजन पक्ष की ओर से कोई देरी नहीं हुई है। हुसैन ने तर्क दिया कि 31 आरोपी व्यक्तियों द्वारा 95 आवेदन दायर किए गए हैं।
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