कोटा में इसलिए जवाब दे रही छात्रों की सहनशीलता, कोचिंग सेंटर का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पा रहे स्टूडेंट

Kota Suicide News : रिपोर्टों की मानें तो तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर्स के मनमाने रवैये एवं उनके खराब बर्ताव ने इन छात्रों के मन में एक हीनता का भाव पैदा करने का काम किया। रूटीन टेस्ट के नाम पर छात्रों पर दबाव इतना बढ़ गया कि वे 24 घंटे में 16-16 घंटे की पढ़ाई करने लगे।

Kota Suicide News : राजस्थान का कोटा शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां छात्रों के बढ़ते खुदकुशी के मामलों ने इस शहर को चर्चा में ला दिया है। यह शहर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एवं कोचिंग के लिए जाना जाता है। देश भर से छात्र यहां डॉक्टर एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई एवं तैयारी के लिए यहां आते हैं। यहां से हर साल बड़ी संख्या में छात्र डॉक्टर एवं इंजीनियर बनकर निकलते हैं लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की भी है जिनके सपने पूरे नहीं हो पाते या यह कहें कि जो तैयारी के समय से टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने की वजह से तनाव एवं दबाव में रहते हैं।

16-16 घंटे की पढ़ाई करते हैं छात्र

हाल के सूसाइड के ज्यादातर मामलों में यह बात देखी गई कि सूसाइड करने वाले ज्यादातर छात्र दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद भी रूटीन टेस्ट में अच्छा नंबर नहीं ला पाए। माता-पिता के सपनों को न पूरा कर पाने की उनके मन की कसक दूसरे रूपों में निकलने लगी। वे आत्महत्या तक पर उतारू हो गए। रिपोर्टों की मानें तो तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर्स के मनमाने रवैये एवं उनके खराब बर्ताव ने इन छात्रों के मन में एक हीनता का भाव पैदा करने का काम किया। रूटीन टेस्ट के नाम पर छात्रों पर दबाव इतना बढ़ गया कि वे 24 घंटे में 16-16 घंटे की पढ़ाई करने लगे।

छात्रों पर अच्छे नंबर लाने का दबाव

कोचिंग सेंटर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने वाले छात्रों की तस्वीरों वाली होर्डिंग्स शहर भर में लगाते हैं। रूटीन टेस्ट में अच्छा नंबर लाने वालों के साथ 'खास व्यवहार' होता है। ऐसे में अच्छे प्रदर्शन का दबाव बाकी सभी छात्रों पर रहता है। 16-17 साल के बच्चे कितना दबाव झेल पाएंगे। वे निराशा और फिर तनाव का शिकार हो जाते हैं।

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