मोहन भागवत ने लॉन्च किया सामवेद का पहला उर्दू अनुवाद, ट्रांसलेटर बोले- 'औरंगजेब हार गया, मोदी जीत गए'

सामवेद का उर्दू अनुवाद करने वाले इकबाल दुर्रानी का कहना है कि 400 साल पहले दारा शिकोह ने वेदों का अनुवाद करना चाहा था, लेकिन औरंगजेब ने उन्हें मरवा दिया था। आज पीएम मोदी के राज में मैंने उनका सपना पूरा किया है।

Mohan-Bhagwat

मोहन भागवत ने लॉन्च किया सामवेद का पहला उर्दू अनुवाद

Samveda Urdu translation: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) अब देश में गंगा जमुनी तहजीब को बढ़ावा देने और भारतीय परंपराओं के विस्तार में जुट गया है। इसी की तहत शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के लाल किला परिसर में चारों वेदों में से एक 'सामवेद' का उर्दू अनुवाद लॉन्च किया। यह किसी वेद का अब तक का पहला उर्दू अनुवाद है।
सामवेद का उर्दू में अनुवाद फिल्म निर्माता इकबाल दुर्रानी ने किया है। उन्होंने कहा, 'औरंगजेब हार गया और मोदी जीत गए।' दुर्रानी ने आगे कहा, दारा शिकोह ने उपनिषदों का उर्दू में अनुवाद किया और वह वेदों का अनुवाद करना चाहता था, लेकिन औरंगजेब ने उसे मरवा दिया। 400 साल बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में वो सपना मैंने पूरा किया है।

सामवेद इंसान और भगवान के बीच बातचीत का जरिया

इससे एक दिन पहले लेखक इकबाल दुर्रानी ने कहा था कि सामवेद ग्रंथ मंत्रों का संग्रह है। यह मंत्र इंसान और भगवान के बीच बातचीत का जरिया है। उन्होंने कहा, इस ग्रंथ में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे पढ़कर मुसलमान समझ नहीं सकता है। आगे कहा, मैं चाहता हूं कि देश में हिंदू-मुस्लिम एकता बने, एक दूसरे के ग्रंथ के बारे में जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि यह सब भगवान की बाते हैं।

मुस्लिम समुदाय को साधने में जुटा संघ

बीते कुछ दिनों ने आरएसएस मुस्लिम समुदाय को साधने में जुट गया है। कई मंचों पर आरएसएस प्रमुख भी हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कर चुके हैं। अब सामवेद के जरिए भी वह इस समुदाय तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रहा है। इससे पहले 2021 में मोहन भागवत की पुस्तक भविष्य में भारत का भी उर्दू में अनुवाद किया गया था।

गाये जा सकते हैं सामवेद के मंत्र

सामवेद के मंत्र गाये जा सकते हैं। यज्ञ, अनुष्ठान के समय ये मंत्र गाए जाते हैं, इसकी कारण इसका नाम सामवेद पड़ा, क्योंकि इस वेद में वही मंत्र हैं, जो गायन पद्धति के हैं।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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