PM मोदी, गृह मंत्री शाह जैसी होगी RSS प्रमुख भागवत की सुरक्षा, Z प्लस नहीं अब ASL के दायरे में रहेंगे
Mohan Bhagwat security: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाकर एडवांस सेक्युरिटी लाइजन (ASL) कर दी गई है। अभी वह जेड प्लस सुरक्षा के दायरे में रहते है। बताया जा रहा है कि भागवत की सुरक्षा पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से मिले थ्रेट को देखने के बाद सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है।
मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाई।
Mohan Bhagwat security: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाकर एडवांस सेक्युरिटी लाइजन (ASL) कर दी गई है। अभी वह जेड प्लस सुरक्षा के दायरे में रहते है। बताया जा रहा है कि भागवत की सुरक्षा पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से मिले थ्रेट को देखने के बाद सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है। टीओआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि एएसएल के तहत अब आरएसएस प्रमुख का सुरक्षा घेरा और तैयारी उसी स्तर की होगी जैसी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की होती है।
चरमपंथी समूहों के निशाने पर रहते हैं भागवत
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 15 दिन पहले भागवत की सुरक्षा की समीक्षा हुई। इस समीक्षा यह पाया गया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में उनकी यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा में 'थोड़ी' कमी रह गई। बता दें कि भागवत की जेड प्लस की सुरक्षा में सीआईएसएफ के जवान शामिल हैं। दिल्ली के सूत्रों का कहना है कि भागवत चरमपंथी इस्लामिक संगठनों सहित कई समूहों के निशाने पर रहते हैं। भागवत की सुरक्षा बढ़ाकर एएसल कर दी गई है, इस बारे में राज्यों को आधिकारिक रूप से सूचित कर दिया गया है।
एएसएल की सुरक्षा व्यवस्था में शामिल होती हैं कई एजेंसियां
एएसएल की सुरक्षा व्यवस्था में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से जुड़े अन्य विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य जैसी एजेंसियां शामिल हो जाती हैं। इस स्तर की व्यवस्था में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी हो जाती है। यही नहीं, एएसल की सुरक्षा मिलने पर वीवीआईपी को विशेष तौर डिजाइन किए गए हेलिकॉप्टरों में ही उड़ान भरने की इजाजत दी जाती है। ऐसे व्यक्तियों को तय प्रोटोकॉल के अनुसार अपनी गतिविधियां करनी होती है।
2015 में मिली जेड प्लस सुरक्षा
आरएसएस प्रमुख को जून 2015 में सीआईएसएफ के 55 कमांडो की जेड-प्लस सुरक्षा मिली थी। इससे पहले यूपीए सरकार ने भी उन्हें साल 2012 में जेड-प्लस सुरक्षा कवर देने का आदेश दिया था, लेकिन तब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने कर्मियों और वाहनों की कमी का हवाला देते हुए ये सुरक्षा देने में असमर्थता जताई थी।
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