बयान पर विवाद बढ़ा तो इंद्रेश कुमार ने लिया U-टर्न, अब बोले-जिन्होंने राम का विरोध किया वे सत्ता से बाहर हैं
Indresh Kumar U turn : कुछ दिन पहले आरएसएश के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी लोकसभा चुनाव परिणामों पर कुछ इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने कहा, 'जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है। गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है।'
Indresh Kumar U turn : अपने बयान पर विवाद गहराने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने यू-टर्न ले लिया है। इंद्रेश के बयान से आरएसएस ने भी पल्ला झाड़ लिया। संघ ने कहा कि यह उसका आधिकारिक बयान नहीं है। बाद में इंद्रेश कुमार ने भी अपने बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि जिन्होंने राम का विरोध किया वे सभी अब सत्ता से बाहर हैं और जिन्होंने राम की भक्ति का संकल्प लिया वे आज सत्ता में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश आगे बढ़ रहा है।
अहंकार के चलते भाजपा को बहुमत नहीं मिला-इंद्रेश
बता दें कि पहले इंद्रेश ने बीजेपी को अहंकार पार्टी बताया था। उन्होंने कहा था कि अहंकार के चलते भाजपा बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। भगवान राम ने उसे 240 और एनडीए को 292 सीटों पर रोक दिया। जिनकी राम के प्रति आस्था नहीं थी, अश्रद्धा थी। उन सबको मिलकर 234 पर रोक दिया। यही प्रभु का न्याय है। उनके इस बयान पर सियासी गलियारों में खलबली मच गई। कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस को जब बोलना चाहिए था तब वह चुप रही। प्रधानमंत्री मोदी उसे गंभीरता से नहीं लेते तो हम क्यों लें। पहले पीएम उसे गंभीरता से लें फिर कांग्रेस देखेगी।
मोहन भागवत ने भी दिया था इसी तरह का बयान
इंद्रेश कुमार ने गुरुवार को जयपुर के पास कानोता में रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह के दौरान यह बयान दिया। बता दें कि कुछ दिन पहले आरएसएश के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी लोकसभा चुनाव परिणामों पर कुछ इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने कहा, 'जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है। गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है।'
योगी से होगी संघ प्रमुख की मुलाकात
हाल ही में आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में भी भाजपा और उसके नेताओं की आलोचना की गई। मुखपत्र में लिखा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के अति आत्मविश्वासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को आईना हैं। हर कोई भ्रम में था, किसी ने लोगों की आवाज नहीं सुनी। इसके बाद यह कयास लगने लगे कि भाजपा और आरएसएस के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। इस बीच भागवत की गोरखपुर यात्रा और उत्तर प्रदेश की सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी होने वाली मुलाकात पर भी अटकलें लग रही हैं।
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