आरएसएस के प्रस्ताव में राम मंदिर निर्माण की प्रशंसा, इसे विश्व इतिहास का ‘स्वर्णिम पृष्ठ' करार दिया
संघ ने कहा कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस संघर्ष में जीवन अर्पण करने वाले सभी बलिदानियों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उपर्युक्त सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है।
आरएसएस के प्रस्ताव में राम मंदिर निर्माण की प्रशंसा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा कि उसने रविवार को यहां संपन्न अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदि को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया है। संघ ने ‘श्रीराम मन्दिर से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की ओर’ शीर्षक से प्रस्ताव पारित किया। इसमें कहा गया कि पौष शुक्ल द्वादशी, युगाब्द 5125 (22 जनवरी 2024) को श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीरामलला के विग्रह की भव्य-दिव्य प्राणप्रतिष्ठा विश्व इतिहास का एक अलौकिक एवं स्वर्णिम पृष्ठ है।
प्रस्ताव में कहा गया- "हिन्दू समाज के सैकड़ों वर्षों के सतत संघर्ष एवं बलिदान, पूज्य संतों और महापुरुषों के मार्गदर्शन में चले राष्ट्रव्यापी आंदोलन तथा समाज के विभिन्न घटकों के सामूहिक संकल्प के परिणामस्वरुप संघर्ष काल के एक दीर्घ अध्याय का सुखद समाधान हुआ। इस पवित्र दिवस को जीवन में साक्षात् देखने के शुभ अवसर के पीछे शोधकर्ताओं, पुरातत्वविदों, विचारकों, विधिवेत्ताओं, संचार माध्यमों, बलिदानी कारसेवकों सहित आंदोलनरत समस्त हिन्दू समाज तथा शासन-प्रशासन का महत्त्वपूर्ण योगदान विशेष उल्लेखनीय है।"
संघ ने कहा- "अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस संघर्ष में जीवन अर्पण करने वाले सभी बलिदानियों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उपर्युक्त सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है। श्रीराममन्दिर में अभिमंत्रित अक्षत वितरण अभियान में समाज के समस्त वर्गों की सक्रिय सहभागिता रही। लाखों रामभक्तों ने सभी नगरों और अधिकांश गांवों में करोड़ों परिवारों से संपर्क किया। 22 जनवरी 2024 को भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व में अद्भुत आयोजन किये गए। गली-गली और गांव-गांव में स्वप्रेरणा से निकाली गईं शोभायात्राओं, घर-घर में आयोजित दीपोत्सवों तथा लहराती भगवा पताकाओं और मंदिरों-धर्मस्थलों में हुए संकीर्तनों आदि के आयोजनों ने समाज में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया।"
प्रस्ताव के मुताबिक- "श्री अयोध्याधाम में प्राणप्रतिष्ठा के दिन देश के धार्मिक, राजनैतिक एवं समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व तथा सभी मत-पंथ-सम्प्रदाय के पूजनीय संतवृंद की गरिमामयी उपस्थिति थी। यह इस बात का द्योतक है कि श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप समरस, सुगठित राष्ट्रजीवन के निर्माण का वातावरण बन गया है। यह भारत के पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारंभ का संकेत भी है।"
संघ ने कहा- "श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से विदेशी शासन और संघर्षकाल में आई आत्मविश्वास की कमी और आत्मविस्मृति से समाज बाहर आ रहा है। सम्पूर्ण समाज हिंदुत्व के भाव से ओतप्रोत होकर अपने ‘स्व’ को जानने तथा इसके अनुरूप जीने के लिए तत्पर हो रहा है।मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन हमें सामाजिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए समाज व राष्ट्र के लिए त्याग करने की प्रेरणा देता है। उनकी शासन पद्धति ‘रामराज्य’ के नाम से विश्व इतिहास में प्रतिष्ठित हुई, जिसके आदर्श सार्वभौमिक व सार्वकालिक हैं। जीवन मूल्यों में क्षरण, मानवीय संवेदनाओं में आई कमी, विस्तारवाद के कारण बढ़ती हिंसा व क्रूरता आदि चुनौतियों का सामना करने में रामराज्य की संकल्पना सम्पूर्ण विश्व के लिए आज भी अनुकरणीय है।"
संघ ने कहा- "प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित मत है कि सम्पूर्ण समाज अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को प्रतिष्ठित करने का संकल्प ले, जिससे राममंदिर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य सार्थक होगा। श्रीराम के जीवन मे परिलक्षित त्याग, प्रेम, न्याय, शौर्य, सद्भाव एवं निष्पक्षता आदि धर्म के शाश्वत मूल्यों को आज समाज में पुनः प्रतिष्ठित करना आवश्यक है। सभी प्रकार के परस्पर वैमनस्य और भेदों को समाप्त कर समरसता से युक्त पुरुषार्थी समाज का निर्माण करना ही श्रीराम की वास्तविक आराधना होगी।"
इसमें कहा गया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा समस्त भारतीयों से आह्वान करती है कि बंधुत्व, कर्तव्यनिष्ठा, मूल्याधारित जीवन और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने वाले ‘समर्थ भारत’ का निर्माण करें, जिसके आधार पर देश एक सर्वकल्याणकारी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर सकेगा।
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