RSS News: संघ ने केंद्र सरकार के निर्णय का किया स्वागत, कहा, 'इससे लोकतंत्र और होगा मजबूत'

सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को 58 साल बाद मोदी 3.0 ने हटा दिया। मोदी ने अपनी तीसरी पारी में 1966 में तत्कालीन सरकार द्वारा लगाए गए सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने के प्रतिबंध को हटा लिया।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर

प्रतिबंध हटाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली प्रतिक्रियाएं जिसमें संघ की तरफ से संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इस निर्णय का स्वागत किया साथ ही इस निर्णय को लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने वाला बताया, उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था।शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।'

क्या था कर्मचारियों पर लगा प्रतिबंध और इसे क्यूं लगाया गया?

नवंबर 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाते हुएआदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि कोई भी सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता है। यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद पर बड़े पैमाने पर गौ-हत्या विरोधी प्रदर्शन हुआ था, आरएसएस-जनसंघ के समर्थक लाखों की संख्या में संसद के बाहर जमा हो गए थे, इस दौरान दिल्ली पुलिस को फायरिंग के आदेश दिए गए जिसमें कई लोग मारे गये थे। इस आंदोलन के जन समर्थन को देखते हुए 30 नवंबर 1966 को, आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से आहत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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