बिलावल की जितनी उम्र नहीं उससे ज्यादा जयशंकर के पास विदेश सेवा का अनुभव, भारतीय विदेश मंत्री के आगे कहीं नहीं ठहरते
Bilawal Bhutto Zardari : भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की अगर तुलना करें तो उम्र से लेकर शिक्षा तक कई बड़े अंतर नजर आते हैं। जयशंकर की उम्र 68 साल है तो बिलावल उनके आगे काफी छोटे हैं। बिलावल की उम्र अभी 34 साल है। कूटनीतिक अनुभव के मामले में भी बिलावल काफी पीछे हैं। जयशंकर के पास विदेश सेवा का अनुभव बहुत ज्यादा है।
एससीओ मीटिंग के लिए भारत आए हैं पाकिस्तान के विदेश मंत्री।
जयशंकर के पास 38 सालों का विदेश सेवा का अनुभव
भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की अगर तुलना करें तो उम्र से लेकर शिक्षा तक कई बड़े अंतर नजर आते हैं। जयशंकर की उम्र 68 साल है तो बिलावल उनके आगे काफी छोटे हैं। बिलावल की उम्र अभी 34 साल है। कूटनीतिक अनुभव के मामले में भी बिलावल काफी पीछे हैं। जयशंकर के पास विदेश सेवा का अनुभव बहुत ज्यादा है। 1977 में भारतीय विदेश सेवा की शुरुआत करने वाले जयशंकर के पास 38 सालों का व्यापक अनुभव है। वह सिंगापुर, चेक रिपब्लिक, चीन और अमेरिका जैसे देशों में राजदूत रह चुके हैं।
शिक्षा में भी भारी है जयशंकर
जयशंकर की शिक्षा की अगर बात करें तो इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई नई दिल्ली के सुब्रतो पार्क एयर फोर्स स्कूल से की इसके बाद इनकी शिक्षा बेंगलुरु स्थित मिलिट्री स्कूल से हुई। जयशंकर ने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज से की। इसके बाद इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से राजनीति शास्त्र में एमए, एमफिल और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में डॉक्टरेट की उपाधि ली। 1977 में भारतीय विदेश सेवा से जुड़ने के बाद जब इनकी मास्को में तैनाती हुई तो इन्होंने रूसी भाषा की पढ़ाई की। जयशंकर को चीनी भाषा मंडारिन भी आती है।
बिलावल के पास है ऑक्सफोर्ड की डिग्री
बिलावल का जन्म 21 सितंबर 1988 को हुआ। वह पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत बेनजीर भुट्टो एवं पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पुत्र हैं। अभी बिलावल की उम्र 34 साल है। बिलावल की शुरुआती पढ़ाई कराची के कराची ग्रामर स्कूल में हुई। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने इस्लामाबाद के फ्रोबेल इंटरनेशनल स्कूल पहुंचे। इसके बाद बिलावल ने दुबई के राशिद स्कूल फॉर ब्वॉयज से आगे की पढ़ाई पूरी की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बिलावल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहा के क्राइस्ट चर्च से इन्होंने आधुनिक इतिहास एवं राजनीति में स्नातक किया।
विदेश मंत्री के रूप में भारत का कद बढ़ाया
विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर और बिलावल में जमीन-आसमान का अंतर है। साल 2019 में विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर ने दुनिया भर में अपने कार्यों एवं उपलब्धियों की बदौलत नाम कमाया है। कूटनीतिक संबंधों के वे माहिर हैं। वैश्विक मंच पर भारत के लिए उभरीं कई चुनौतियों को उन्होंने अपनी योग्यता एवं कूटनीतिक समझ से आसान बनाया है। चीन के साथ सीमा विवाद हो या भारत को कमतर आंकने की पश्चिमी देशों का रवैया, इन सभी मसलों पर जयशंकर ने भारतीय हितों को ऊपर रखते हुए उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है। जयशंकर की उपलब्धियों पर भारत गर्व करता है लेकिन बिलावल भुट्टो के नाम विदेश मंत्री के रूप में ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है जिस पर उनका देश खुद को गौरवान्वित महसूस करे।
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