पाकिस्तान ने कुछ 'गड़बड़' की तो उससे कड़ाई से निपटेंगे, PoK पर भाजपा और देश का रुख एक जैसा-जयशंकर
Jaishankar on PoK: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को तिरूवनंतपुरम में कहा कि पाकिस्तान को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात वहां से निकलने वाला आतंकवाद है। वहां से यदि कुछ अवांछित होता है तो उससे कड़ाई से निपटा जाएगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर।
Jaishankar on PoK: पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, यह राय केवल भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नहीं बल्कि पूरे देश का है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को तिरूवनंतपुरम में कही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात वहां से निकलने वाला आतंकवाद है। वहां से यदि कुछ अवांछित होता है तो उससे कड़ाई से निपटा जाएगा।
पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है-जयशंकर
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'पीओके के मामले में देश का एक रुख है, किसी पार्टी का नहीं। देश के संसद ने पीओके पर एकमत से निर्णय से लिया है। इस रुख को देश की सभी पार्टियों का समर्थन मिला है। हम यह कभी मान नहीं सकते कि पीओके भारत का हिस्सा नहीं है। यही हमारा रुख है।'
डीएमके पर जयशंकर ने निशाना साधा
कच्चातिवु द्वीप मामले में विदेश मंत्री ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के खिलाफ अपना हमला तेज करते हुए दावा किया कि यह क्षेत्रीय पार्टी पांच दशक पहले कच्चातिवु द्वीप पर श्रीलंका के साथ तत्कालीन केंद्र सरकार की बातचीत और उसके नतीजे में एक पक्ष थी। तमिलनाडु की राजनीति में यह मुद्दा गर्माया हुआ है। जयशंकर ने दावा किया कि तत्कालीन द्रमुक सरकार के संज्ञान में बातें रखे जाने के बाद इस द्वीप को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच समझौता हो सका था।
'तमिलनाडु के लोगों को सच्चाई पता होनी चाहिए'
यहां मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तमिलनाडु के लोगों को सच्चाई पता होनी चाहिए। यह कैसे हुआ? ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि जब केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बातचीत कर रही थी, तो वे वास्तव में तत्कालीन राज्य सरकार से परामर्श कर रहे थे, जिसका नेतृत्व द्रमुक कर रही थी, लेकिन इसे गुप्त रखा गया था।' उन्होंने कहा, 'इसलिए, द्रमुक इन वार्ताओं में काफी हद तक एक पक्ष थी, इसके नतीजे में भी काफी हद तक एक पक्ष थी।'
सरकार ने तमिलनाडु सरकार से संपर्क किया था
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिये अब सार्वजनिक हुए दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें (दस्तावेज में) बताया गया है कि 1973 के बाद से, तत्कालीन केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर तमिलनाडु सरकार एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के साथ व्यक्तिगत रूप से निरंतर और विस्तृत परामर्श किया था।
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