जो नहीं कर पाए राहुल गांधी वो करेंगे खड़गे ! सचिन पायलट की खुली चुनौती
Sachin Pilot On Ashok Gehlot: नरेंद्र मोदी द्वारा अशोक गहलोत की प्रशंसा को सचिन पायलट ने सियासी रंग दे दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने कल जो बयान दिए, जो बड़ाइयां कीं, मैं समझता हूं कि यह एक बड़ा ही दिलचस्प घटनाक्रम है। प्रधानमंत्री जी ने इसी तरह सदन में गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी और उसके बाद का घटनाक्रम हम सबने देखा है।
- गुलाम नबी आजाद की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार प्रशंसा कर चुके हैं।
- अब उसी प्रशंसा का सचिन पायलट हवाला देकर अशोक गहलोत पर सियासी हमला कर रहे हैं।
- सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पिछले दो साल से खुलकर खींचतान चल रही है।
मोदी और गहलोत ने एक दूसरे की प्रशंसा की
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असल में कल बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में हुए कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम अशोक गहलोत मौजूद थे। उस दौरान मोदी ने गहलोत को मुख्यमंत्रियों में सीनियर बताते हुए उनकी तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि अशोक जी हमारे सबसे सीनियर मुख्यमंत्री हैं, हम साथ काम कर चुके हैं। उसी मंच से गहलोत ने पीएम मोदी के लिए कहा था कि 'मोदी जब विदेश जाते हैं तो उन्हें बहुत सम्मान मिलता है। उन्हें सम्मान क्यों मिलता है, उन्हें सम्मान मिलता है क्योंकि मोदी उस देश के प्रधान मंत्री हैं जो गांधी का देश है, लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं और 70 साल बाद भी लोकतंत्र जीवित है। लोग इसे जानते हैं और सम्मान देते हैं।
अब मोदी द्वारा गहलोत की प्रशंसा को सचिन पायलट ने सियासी रंग दे दिया है। उन्होंने कहा 'प्रधानमंत्री जी ने कल जो बयान दिए, जो बड़ाइयां कीं, मैं समझता हूं कि यह एक बड़ा ही दिलचस्प घटनाक्रम है। प्रधानमंत्री जी ने इसी तरह सदन में गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी और उसके बाद का घटनाक्रम हम सबने देखा है। लिहाजा हमें इस घटनाक्रम को हल्के में नहीं लेना चाहिए।'
पायलट जिस बयान की बात कर रहे हैं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई समारोह के समय, उनकी बड़ी प्रशंसा की थी। इसके बाद उन्हें पद्म पुरस्कार भी दिया गया। हालांकि बाद में अगस्त 2022 में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। अब सचिन पायलट उसी घटना को याद कर गहलोत पर निशान साध रहे हैं।
2 साल से पायलट और सचिन में खींचतान
2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद से अशोक गहलोत और सचिन पायलट में खींचतान चल रही है। असल में 2018 में जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी तो उस वक्त कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट थे। ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि गांधी परिवार मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें सौपेगा। लेकिन उस वक्त आलाकमान ने अशोक गहलोत की वरिष्ठता और अनुभव को ध्यान में रखकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। जबकि सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन दो साल के अंदर ही साल 2020 में सचिन पायलट ने बगावती तेवर दिखाने लगे थे। उसके बाद गांधी परिवार के दखल के बाद मामला शांत हुआ था। लेकिन इस खींचतान में सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
पायलट को मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद, उस वक्त एक बार फिर जग गई, जब इस तरह की चर्चाएं तेज थी कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लेकिन गहलोत समर्थकों के खुलकर विरोध में आने के बाद, गहलोत ने अध्यक्ष पद की रेस से अपने आपको बाहर कर लिया और मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखी। उस वक्त अध्यक्ष चुनाव का हवाला देकर मामले को टाल दिया गया था। लेकिन सचिन पायलट के रुख से साफ है कि अब वह इंतजार के मूड में नहीं है।
क्या करेंगे खड़गे
अब कांग्रेस की कमान मल्लिकार्जन खड़गे के पास है। देखना यह है कि सचिन पायलट के रुख के बाद, वह इस खींचतान को कैसे मैनेज करते हैं। क्योंकि अभी तक गांधी परिवार का रवैया इस मामले को टालने का रहा है। राजस्थान में अगले साल चुनाव को देखते हुए क्या खड़गे वहीं रणनीति अपनाएंगे या फिर कोई दूसरा कदम उठाएंगे, इसका इंतजार सचिन पायलट के साथ-साथ, राजनीतिक पंडितों को भी है।
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