बर्खास्त आईएएस पूजा खेडकर पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, अग्रिम जमानत के लिए पहुंचीं दिल्ली हाई कोर्ट
फर्जी दस्तावेज सामने आने के बाद यूपीएससी की ओर से पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी और उनसे पूछा गया था कि क्यों न उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया जाए।
पूजा खेडकर
Puja Khedkar: बर्खास्त आईएएस पूजा खेडकर अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पूजा ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल, यूपीएससी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने पूजा खेडकर के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और विकलांगता एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पूजा खेडकर ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी।
पटियाला कोर्ट से नहीं मिली राहत
पटियाला कोर्ट ने 1 अगस्त को पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा आवेदन में गलत जानकारी देने और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप है। खेडकर पर फर्जी सर्टिफिकेट जमा करने का भी आरोप है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जंगला ने कहा था कि दिल्ली पुलिस को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में किसी ने खेडकर की मदद की थी। जज ने मामले में जांच का दायरा भी बढ़ाया और दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का निर्देश दिया कि क्या अन्य उम्मीदवारों ने बिना पात्रता के ओबीसी और पीडब्ल्यूडी कोटे के तहत लाभ उठाया है।
पूजा खेडकर को बड़ा झटका
पूजा खेडकर को बड़ा झटका देते हुए 31 जुलाई को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने उनकी अस्थाई उम्मीदवार को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही खेडकर पर भविष्य में किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर भी रोक लगाई। संघ लोक सेवा आयोग की ओर से बताया गया कि उपलब्ध दस्तावेजों की जांच के बाद यूपीएससी ने पूजा खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया, जिसके बाद उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया है।
यूपीएससी ने पूजा खेडकर को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। फर्जी दस्तावेज सामने आने के बाद आयोग की ओर से पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी और उनसे पूछा गया था कि क्यों न उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया जाए।
यूपीएससी ने खंगाले 15 साल के रिकॉर्ड
पूजा खेडकर का मामला सामने आने के बाद संघ लोग सेवा आयोग ने 2009 से 2023 तक 15 हजार से अधिक उम्मीदवारों के सीएसई डेटा की जांच की। इस दौरान पूजा खेडकर के अलावा ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं मिला, जिसने दस्तावेजों के साथ फर्जीवाड़ा किया था। यह इकलौता केस था, जिसमें यूपीएससी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि पूजा खेडकर ने कितनी बार यूपीएससी की परीक्षा दी, क्योंकि उन्होंने हर बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता के नाम को भी बदल दिया।
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