Sadhguru Consecrates: सद्गुरु सन्निधि बेंगलुरु में सद्गुरु ने की 21 फीट ऊंचे नंदी और 54 फीट के महाशूल की प्राण प्रतिष्ठा
Sadhguru Consecrate: दिन भर चलने वाले पारंपरिक उत्सवों में सद्गुरु सन्निधि क्षेत्र के स्थानीय समुदायों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी देखने को मिली, जिसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन और रंगीन संक्रांति जथरे शामिल हैं।
इस अवसर पर ऐतिहासिक कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों लोग एकत्र हुए
Sadhguru Consecrate News: सद्गुरु सन्निधि, बेंगलुरु में आदियोगी और नागा मंदिर के साथ अब नंदी और महाशूल के दर्शन भी लोगों के लिए खोल दिए गए हैं, सोमवार को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर, सद्गुरु ने बेंगलुरु के पास चिक्कबल्लापुर स्थित सद्गुरु सन्निधि में शिव के त्रिशूल-महाशूल और ध्यानमय अवस्था के प्रतीक नंदी की प्राण प्रतिष्ठा की।
इस अवसर पर ऐतिहासिक कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों लोग एकत्र हुए अब 112 फीट की आदियोगी प्रतिमा के साथ 21 फीट ऊंचे नंदी और 54 फीट महाशूल भी सद्गुरु सन्निधि परिसर की सुंदरता और शोभा बढ़ाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिभागियों ने नंदी को तेल का अर्पण किया। इसके बाद नए पवित्र स्थानों को सार्वजनिक दर्शन के लिए भी खोल दिया गया।
'कामसले' एक पीतल निर्मित संगीत वाद्ययंत्र
मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान मधेश्वर के भक्तों ने पहली बार आदियोगी प्रतिमा के सामने एक पारंपरिक कर्नाटक कला रूप कामसले का पहली बार प्रदर्शन किया। पौराणिक काल से प्रचलित 'कामसले' एक पीतल निर्मित संगीत वाद्ययंत्र है, जो जोड़े में बजाया जाता है। इसकी लयबद्ध धुन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
'नंदी शाश्वत प्रतीक्षा का प्रतीक है'
नंदी के महत्व के बारे में बताते हुए, सद्गुरु ने कहा, 'हर शिव मंदिर के बाहर प्रतीकात्मक रूप से एक नंदी होता है। नंदी शाश्वत प्रतीक्षा का प्रतीक है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में प्रतीक्षा को सबसे बड़ा गुण माना गया है। जो व्यक्ति बस बैठना और प्रतीक्षा करना जानता है वह स्वाभाविक रूप से ध्यानमय होता है... लोगों ने हमेशा ध्यान को किसी प्रकार की गतिविधि के रूप में गलत समझा है। नहीं, यह एक गुण है। प्रार्थना का अर्थ है कि आप ईश्वर से बात करने का प्रयास कर रहे हैं। आप उसे अपनी प्रतिज्ञाएं, अपनी अपेक्षाएं या कुछ और बताने का प्रयास कर रहे हैं। ध्यान का अर्थ है कि आप अस्तित्व को, सृष्टि की परम प्रकृति को केवल सुनने के इच्छुक हैं। आपके पास कहने को कुछ नहीं है, आप बस सुन रहे हैं। यही नंदी का गुण है।'
'पूरी सृष्टि तीन पहलुओं की अभिव्यक्ति है - सृजन, रख रखाव और विनाश…
महाशूल (शिव का त्रिशूल) के बारे में बोलते हुए, सद्गुरु कहते हैं, 'पूरी सृष्टि तीन पहलुओं की अभिव्यक्ति है - सृजन, रख रखाव और विनाश… भारतीय संस्कृति में, हम इन तीन शक्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहते हैं। ब्रह्मा उत्पत्ति के बारे में हैं, विष्णु अस्तित्व के व्यवस्था के बारे में हैं, और शिव विस्मृति के बारे में हैं। हालांकि, यदि आप काफी गहराई में जाएं, तो ये तीनों एक ही हैं क्योंकि सृजन और रखरखाव केवल विस्मृति की गोद में ही मौजूद हैं। यही महाशूल का महत्व है - लगातार यह संकेत देना कि यद्यपि सतह पर तीन हैं, लेकिन गहराई से सब कुछ एक है।'
उत्सव के अनुभव के बारे में बताते हुए चिक्काबल्लापुर गांव के स्थानीय निवासी राघवेंद्र कुमार ने कहा, 'मैं, अपने परिवार के सदस्यों के साथ, सद्गुरु सन्निधि बार-बार आते रहने से खुद को रोक नहीं पाता। भव्य आदियोगी के सामने शिव त्रिशूल और नंदी की मौजूदगी ने मुझे भावविभोर कर दिया। मेरे बच्चों ने सांस्कृतिक प्रदर्शन का आनंद लिया और गांव की क्षेत्रीय कलाओं के जीवंत प्रदर्शन के साथ अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का अनुभव किया।'
सन्निधि में आगंतुक दैनिक वीडियो इमेजिंग शो 'आदियोगी दिव्य दर्शनम' के अलावा एक विशेष लेजर शो से भी मंत्रमुग्ध हुए, यह लाइट शो सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। दिव्य दर्शनम प्रतिदिन शाम 7 बजे सद्गुरु सन्निधि, बेंगलुरु के आदियोगी परिसर में देखा जा सकता है।
सद्गुरु सन्निधि को अक्टूबर 2022 में पवित्र सर्प स्थान 'नागा' की प्राण प्रतिष्ठा के साथ लोगों के लिए खोला गया था। यह दुनिया भर में आध्यात्मिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के सद्गुरु के दृष्टिकोण का एक हिस्सा है, जो पूरी मानवता को 'आध्यात्मिकता की एक बूंद' प्रदान करने के लक्ष्य के लिए काम करेगा।
वर्तमान में यहां योगेश्वर लिंग भी स्थित है
नागा मंदिर और आदियोगी के अलावा, वर्तमान में यहां योगेश्वर लिंग भी स्थित है। भविष्य में सद्गुरु सन्निधि में लिंग भैरवी देवी का निवास स्थान, नवग्रह तीर्थस्थल और विशेष योग हॉल के साथ दो तीर्थकुंड भी स्थापित किए जाएंगे।
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