महिलाओं के खिलाफ अपराधों से कैसे निपटें, सुरक्षा को लेकर बने हैं ये 5 सख्त कानून
लगातार बढ़ रहे अपराधों के मद्देनजर न सिर्फ महिलाओं बल्कि एक आम नागरिक के लिए भी ये जानना जरूरी है कि महिला सुरक्षा को लेकर कौन से सख्त कानून हैं।
महिला सुरक्षा पर कानून
Women Safety: भारत में महिला सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है। आए दिन महिलाओं के खिलाफ हो रही घटनाओं ने समाज को शर्मसार किया है और जघन्य वारदातों की वजह से भय का माहौल है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि देश में महिला की सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कानून हैं। इसे लेकर जागरूक रहने पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा से लड़ने में मदद मिल सकती है। न सिर्फ महिलाओं बल्कि एक आम नागरिक के लिए भी ये जानना जरूरी है कि महिला सुरक्षा को लेकर कौन से सख्त कानून हैं।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
यह अधिनियम महिलाओं को उनके घरों में होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार से बचाता है। इसमें पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा और राहत दी जाती है। इस अधिनियम के तहत पीड़ित महिलाएं 60 दिनों के अंदर तुरंत दीवानी उपचार पा सकती हैं।
दहेज निषेध अधिनियम, 1961
यह एक कानून है जो दहेज से जुड़े अपराधों से महिलाओं की सुरक्षा करता है।
महिलाओं का अभद्र चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986
यह एक कानून है जो महिलाओं के अभद्र चित्रण से जुड़े अपराधों को रोकता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
यह एक कानून है जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकता है। आज के दौर में बड़े पैमाने पर कार्यस्थलों पर महिलाओं का उत्पीड़न होता है। उन्हें इंसाफ देने की जगह नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।
पॉक्सो एक्ट
यह एक कानून है जो बच्चों के यौन शोषण से जुड़े अपराधों से उनकी सुरक्षा करता है। यह कानून 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर लागू होता है।
संविधान में भी महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रावधान
बहरहाल, भारतीय संविधान में भी महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रावधान हैं। संविधान के मुताबिक, महिलाओं को पुरुषों के समान ही मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताएं मिली हैं। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के मद्देनजर समय-समय पर नए-नए कानून बनाए गए हैं। हालांकि, इसके बावजूद अभी तक महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी नहीं आई है और न्याय के लिए उनका इंतजार अक्सर लंबा ही होता है।
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