क्या मायावती को सता रहा दलित वोट खिसकने का खौफ? बार-बार अखिलेश यादव की सपा पर भड़कने के क्या हैं मायने; समझिए पूरी कहानी
मायावती ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर तीखा प्रहार किया है। बसपा सुप्रीमो ने दावा किया है कि सपा नीयत एवं नीति में खोट के कारण दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी कभी नहीं हो सकती। बीते कई दिनों से मायावती को दलित वोटबैंक छिटकने का डर सता रहा, जिससे वो सपा पर बार-बार प्रहार कर रही हैं।

अखिलेश यादव की सपा पर लगातार क्यों हमलावर हैं मायावती?
Mayawati Slams Akhilesh Yadav: क्या मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर दलितों और बहुजनों को अब भरोसा नहीं रहा, या फिर दलितों को अब बसपा से ज्यादा अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर हो रहा है। इन दिनों अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नाम पर अपनी सियासी शाख खूब मजबूत कर रहे हैं, ऐसे में शायद मायावती को डर सताने लगा है कि कहीं उनका वोटबैंक अखिलेश की सपा की ओर शिफ्ट न हो जाए। दलितों की सियासत करने वाली मायावती पिछले कई दिनों से अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी पर तीखे प्रहार कर रही हैं।
एक बार फिर समाजवादी पार्टी पर भड़कीं मायावती
बसपा की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को अपने विरोधी दलों, खासतौर से समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह सपा भी अपनी नीयत एवं नीति में खोट के कारण दलितों-बहुजनों की कभी सच्ची हितैषी नहीं हो सकती।
मायावती ने अखिलेश यादव पर सिलसिलेवार हमले किया
सपा के दलित सांसद रामजी लाल सुमन की राणा सांगा पर टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा उनका लगातार समर्थन किए जाने के बीच मायावती ने यह टिप्पणी की। बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार ‘पोस्ट’ साझा करते हुए कहा कि कांग्रेस और भाजपा की तरह समाजवादी पार्टी भी बहुजनों, विशेषकर दलितों को उनके संवैधानिक अधिकार देकर उनके उत्थान के लिए काम करने तथा उनकी गरीबी, जाति-आधारित शोषण और अन्याय-अत्याचार को समाप्त करने की कोई इच्छाशक्ति नहीं रखती।
1995 की लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को मायावती ने किया याद
मायावती ने 1995 की लखनऊ अतिथि गृह घटना को याद करते हुए कहा, 'समाजवादी पार्टी द्वारा बसपा के साथ विश्वासघात, दो जून (1995) को उसके नेतृत्व पर जानलेवा हमला, संसद में पदोन्नति में आरक्षण के विधेयक को फाड़ना, उसके संतों, गुरुओं एवं महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नए जिलों, उद्यानों, शैक्षणिक एवं मेडिकल कॉलेजों का नाम बदलना ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं जिन्हें माफ करना असंभव है।'
उन्होंने कहा कि बसपा अपने अनवरत प्रयासों से यहां जातिवादी व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक समाज यानी सर्वसमाज में भाईचारा बनाने के अपने अभियान में काफी हद तक सफल रही है। उन्होंने कहा, 'सपा अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए इसे बिगाड़ने की हर कोशिश कर रही है। लोग सावधान रहें।'
मायावती ने कहा, 'स्पष्ट है कि कांग्रेस एवं भाजपा आदि की तरह सपा भी अपनी नीयत व नीति में खोट/द्वेष के कारण दलितों-बहुजनों की कभी सच्ची हितैषी नहीं हो सकती लेकिन वह मतों के स्वार्थ की खातिर इनसे लगातार छलावा करती रहेगी जबकि बसपा ‘बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने के प्रति समर्पित एवं संघर्षरत है।'
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