संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी दोबारा पहुंची सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या है मामला

Sambhal : संभल शाही जामा मस्जिद विवाद के बीच एक बार फिर शाही जामा मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।

Supreme Court

शाही जामा मस्जिद कमेटी फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Sambhal : संभल की जामा मस्जिद में हर हरि मंदिर का दावा पेश किए जाने और सर्वे रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद अब इस मामले में शाही जामा मस्जिद कमेटी दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक, मस्जिद की सीढ़ियों/प्रवेश द्वार के पास स्थित निजी कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने की मांग की गई है। अर्जी में कमेटी ने कहा है कि कोर्ट के आदेश थे कि प्रशासन शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए कदम उठाए लेकिन जिला प्रशासन इलाके में पुराने मंदिर और कुएं तलाशने में जुटा है। कमेटी के चेताने के बावजूद मस्जिद के पास बने कुएं में जांच की गई और प्रशासन का ये काम किसी भी तरह शांति और सौहार्द स्थापित करने का नहीं है।

5 मार्च तक के लिए टल गयी थी सुनवाई

बता दें, शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण सुनवाई 5 मार्च तक के लिए टल गयी थी। बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में इसकी सुनवाई होनी थी। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति कोर्ट में दाखिल की थी जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 5 मार्च तय कर दी है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा पेश करते हुए सिविल कोर्ट सीनियर डिविजन में वाद दायर किया था। जिसमें हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता ने सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार, जिला प्रशासन, और जामा मस्जिद कमेटी समेत 6 लोगों को प्रतिवादी बनाया था। अब तक सभी प्रतिवादियों ने अपना पक्ष अदालत में प्रस्तुत कर दिया था, लेकिन जामा मस्जिद कमेटी की ओर से अभी तक कोई पक्ष नहीं रखा गया था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी थी, जिससे जिला अदालत में सुनवाई पर अस्थायी रोक लगी थी।

सिविल कोर्ट ने 8 जनवरी को मामले की सुनवाई नियत की थी। जिसके तहत बुधवार को सुनवाई से पूर्व जामा मस्जिद कमेटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर वार्शिप एक्ट से संबंधित रिट पिटीशन की प्रति सिविल कोर्ट में जमा की गई। जामा मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता आमिर मलिक व शकील वारसी न्यायालय पहुंचे। उन्होंने न्यायालय में यह बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने तक इस मामले में जिला न्यायालय में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। इसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन ने 5 मार्च को अगली सुनवाई की तारीख तय की।

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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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