Sambhal Violence: हिंसा की जांच कर रही न्यायिक आयोग की टीम पहुंची संभल, जामा मस्जिद सर्वे मामले में ASI ने दखिल किया जवाब
Sambhal Jama Masjid survey Case: संभल हिंसा की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन शामिल हैं। रविवार को इस आयोग ने अपना काम शुरू कर दिया है।
संभल हिंसा की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सदस्य पहुंचे जामा मस्जिद।
Sambhal Jama Masjid survey Case: संभल हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से न्यायिक आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने अपना काम रविवार से शुरू कर दिया है। आज न्यायिक आयोग के तीनों सदस्य संभल पहुंचे और कड़ी सुरक्षा में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के साथ जामा मस्जिद का भी दौरा किया। सरकार को यह न्यायिक आयोग दो महीने में रिपोर्ट सौंपेगा। बता दें, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन शामिल हैं।
वहीं, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाली अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है, जिसमें एएसआई ने मुगलकालीन मस्जिद को संरक्षित विरासत संरचना बताते हुए उसका नियंत्रण व प्रबंधन सौंपने का अनुरोध किया है। एएसआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शर्मा ने रविवार को बताया कि एएसआई ने अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि स्थल का सर्वेक्षण करने में उसे मस्जिद की प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।
जवाब में 19 जनवरी की घटना का जिक्र
उन्होंने बताया कि जवाब में 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया गया है, जब मस्जिद की सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाने के लिए मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। शर्मा ने कहा कि साल 1920 से एएसआई के संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित शाही जामा मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए एएसआई के नियमों का पालन करते हुए लोगों को मस्जिद में दाखिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
मस्जिद के ढांचे में परिवर्तन गैरकानूनी
वकील विष्णु शर्मा ने बताया कि एएसआई का तर्क है कि इमारत का नियंत्रण व प्रबंधन तथा किसी भी तरह का संरचनात्मक बदलाव का अधिकार एएसआई के पास ही रहना चाहिए। शर्मा ने बताया कि एएसआई ने यह चिंता भी जताई कि प्रबंध समिति द्वारा मस्जिद के ढांचे में अनधिकृत परिवर्तन गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। आने वाले दिनों में अदालत द्वारा इस मामले पर विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है। बता दें, पिछली 24 नवंबर को संभल में स्थानीय अदालत के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोग मारे गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया था, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।
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