Same Sex Marriage: समलैंगिंक शादी पर क्यों छिड़ा है विवाद, क्या है सरकार का तर्क, समझें पूरा मामला
Same sex marriage : समलैंगिक शादी को मान्यता देने के लिए शीर्ष अदालत में करीब 20 अर्जियां दायर हुई हैं। इनमें कई अर्जियां ऐसी भी हैं जो बाद में दायर की गईं। बाद में अर्जी दायर करने वालों में लोग, संस्थान और सरकारी विभाग शामिल हैं।
समलैंगिक शादी मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
Same sex marriage : समलैंगिक शादी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फैसला आ रहा है। इस शादी को लेकर सरकार की तरफ से विरोध जताया गया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली एवं जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ इस मामले पर फैसला सुनाएंगे। समलैंगिक शादी के पक्ष में दायर अर्जियों में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग की गई है। अपने जवाब में सरकार ने कहा था कि शादी जैसे मसलों पर फैसला कोर्ट नहीं कर सकता और इस मामले को देखने से पहले कोर्ट को पहले यह देखना चाहिए कि इस पर सुनवाई हो सकती है कि नहीं।
करीब 20 अर्जियां दायर
समलैंगिक शादी को मान्यता देने के लिए शीर्ष अदालत में करीब 20 अर्जियां दायर हुई हैं। इनमें कई अर्जियां ऐसी भी हैं जो बाद में दायर की गईं। बाद में अर्जी दायर करने वालों में लोग, संस्थान और सरकारी विभाग शामिल हैं। कोर्ट ने समलैंगिक शादी की मांग करने वाले जोड़े कीयाचिका पर सुनवाई की है। इन्होंने अपने इस रिश्ते को कानूनी मान्यता देने की मांग की थी। इन लोगों की मांग है कि कोर्ट को इनके समानता के अधिकार, निजता एवं सम्मान का सुरक्षा देनी चाहिए।
हेट्रोसेक्सुअल शादियों जैसे अधिकार देने की मांग
कुछ कपल ऐसे भी हैं जो भारत के निवासी हैं। ये चाहते हैं कि स्पेशल मैरिज एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम मैरिज एक्ट, पारसी मैरिज एक्ट एवं अन्य निजी कानूनों के तहत इनके आपसी रिश्ते को कानूनी रूप से वैध घोषित करने के लिए अदालत निर्देश जारी करे। कुछ अर्जियों में एलजीबीटीक्यू को हेट्रोसेक्सुअल शादियों जैसे अधिकार देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई मुख्य बातें
- क्या एलजीबीटीक्यू व्यक्तियों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है? क्या समानता की शादी से इंकार करना जीवन, आजादी, सम्मान, स्वास्थ्य, स्वायत्तता एवं निजता का उल्लंघन नहीं होगा?
- क्या सरकार केवल यौनिक झुकाव के चलते एलजीबीटीक्यू लोगों को समानता के अधिकार से वंचित रख सकती है?
- स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेनर्स मैरिज एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट एवं अन्य निजी कानूनों के प्रवाधान समलैंगिक शादी की इजाजत देते हैं?
- एलजीबीटीक्यू कपल को स्पेशल मैरिज एक्ट के दायरे से बाहर रखना एसएमए के उद्देश्यों का उल्लंघन करता है? ऐसा व्यक्ति जिसने विदेश में शादी की है, उसे भारत में उसके कानूनी अधिकार देने से इंकार किया जा सकता है।
सरकार ने क्या कहाकेंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं ‘‘शहरी संभ्रांतवादी’’ विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं और विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए। केंद्र ने याचिकाओं के विचारणीय होने पर सवाल करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाहों की कानूनी वैधता ‘पर्सनल लॉ’ और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी।
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