केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, समलैंगिक शादी के सवालों को संसद के लिए छोड़ने पर करें विचार

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से इस मुद्दे को संसद पर छोड़ने का आग्रह किया।

सुप्रीम कोर्ट

Same-Sex Marriage: केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने की मांग करने वाली याचिकाओं में उठाए गए सवालों को संसद के लिए छोड़ देने पर विचार करे। केंद्र की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि शीर्ष न्यायालय एक बहुत ही जटिल मुद्दे से निपट रहा है, जिसका गहरा सामाजिक प्रभाव है।

संबंधित खबरें

उन्होंने न्यायमूर्ति एस. के. कौल, न्यायमूर्ति एस.आर. भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ से कहा कि कई अन्य विधानों पर भी इसका अनपेक्षित प्रभाव पड़ेगा, जिस पर समाज में और विभिन्न राज्य विधानमंडलों में चर्चा करने की जरूरत होगी।

संबंधित खबरें

संसद कानून बना सकती है

इस दौरान एसजी मेहता ने कहा कि विवाह के अधिकार ने केंद्र को विवाह की नई परिभाषा बनाने के लिए बाध्य नहीं किया। संसद ऐसा कानून बना सकती है लेकिन यह पूर्ण अधिकार नहीं है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से इस मुद्दे को संसद पर छोड़ने का आग्रह किया।

संबंधित खबरें
End Of Feed