Samudrayaan Mission : कब होगा लॉन्च? आ गई डेट...जानिए भारत को इस मिशन से क्या मिलेगा

Samudrayaan Mission Launch Date: समुद्रयान मिशन 2021 में शुरू किया गया था। इस मिशन के तहत पनडुब्बी 'मत्स्य 6000' का उपयोग करके तीन सदस्यीय चालक दल को मध्य हिंद महासागर में 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचाया जाएगा। यह पनडुब्बी वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों से लैस होगी और इसकी परिचालन क्षमता 12 घंटे होगी, जिसे आपात स्थिति में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।

Samudrayaan Mission

समुद्रयान मिशन

Samudrayaan Mission Launch Date: सूरज और चांद के बाद भारत अब समुद्र का अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए भारत जल्द ही समुद्रयान मिशन लॉन्च करने वाला है। यह मिशन समुद्र तल के नीचे छह किलोमीटर गहराई में भेजा जाएगा, जिसके जरिए भारत समद्र के अंदर होने वाली उथल-पुथल का अध्ययन करेगा। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि भारत समुद्र का अध्ययन करने के लिए अपने वैज्ञानिकों को समुद्र तल के नीचे छह किलोमीटर गइराई में भेजने में अगले साल के अंत तक सक्षम होगा।

रीजीजू ने बताया कि गहरे समुद्र में जाने में सक्षम भारत की पनडुब्बी 'मत्स्य 6000' संबंधी कार्य ठीक रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और इसका परीक्षण इस साल के अंत तक किया जा सकता है। यह पनडुब्बी मनुष्यों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने में समक्ष होगी।

जहां नहीं पहुंचती सूरज की रोशनी, वहां पहुंचेगी भारत की पनडुब्बी

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जब आप समुद्रयान के बारे में बात करते हैं, तो आप समुद्र के अंदर लगभग 6,000 मीटर, छह किलोमीटर गहराई तक जाने के हमारे मिशन के बारे में बात करते हैं, जहां प्रकाश भी नहीं पहुंच सकता। मैं कह सकता हूं कि जहां तक मनुष्यों को समुद्र के भीतर ले जाने वाली हमारी 'मत्स्य' पनडुब्बी का सवाल है, तो उसका काम उचित मार्ग पर है। मंत्री ने कहा कि उन्होंने परियोजना की समीक्षा की है और वैज्ञानिक इस साल के अंत तक पहला सतही जल परीक्षण कर सकेंगे। रीजीजू ने कहा, मुझे विश्वास है कि हम 2025 के अंत तक यानी अगले साल तक अपने मानव दल को 6,000 मीटर से अधिक गहरे समुद्र में भेजने में सक्षम होंगे।

तीन सदस्यीय दल जाएगा समुद्र की गहराई में

समुद्रयान मिशन 2021 में शुरू किया गया था। इस मिशन के तहत 'मत्स्य 6000' का उपयोग करके चालक दल को मध्य हिंद महासागर में 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचाया जाएगा। इसके जरिए चालक दल के तीन सदस्यों को समुद्र के नीचे अध्ययन के लिए भेजा जाएगा। यह पनडुब्बी वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों से लैस होगी और इसकी परिचालन क्षमता 12 घंटे होगी, जिसे आपात स्थिति में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। अब तक अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने गहरे समुद्र में मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भारत ऐसे मिशन के लिए विशेषज्ञता एवं क्षमता का प्रदर्शन करके इन देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार है।

इस मिशन से क्या मिलेगा?

समुद्र की गहराई में गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमैटेलिक मैन्गनीज नॉड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्र्स्ट जैसे संसाधनों की खोज के लिए समुद्रयान को भेजा जाएगा। 1000 से 5500 मीटर तक की गहराई में यह वस्तुएं मिलती हैं। इस मिशन का मकसद भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी में सहायता करना है।

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