संजय राउत बोले मोदी लहर खत्म अब आ रही हमारी लहर, जानें-दावे में कितना दम

Narendra Modi Wave: सियासत में नेताओं का काम ही बयान देना है। लेकिन कुछ बयान शायद यूं ही दिए जाते हैं। जिस शिवसेना के संजय राउत चेहरा हुआ करते थे वो पहचान उनसे छिन चुकी है। लेकिन उनके मुताबिक मोदी लहर की जगह अब उन लोगों की लहर आ रही है।

उद्धव ठाकरे गुट के नेता हैं संजय राउत

मुख्य बातें
  • उद्धव ठाकरे गुट के हैं संजय राउत
  • आम चुनाव 2024 के लिए विपक्ष ने कसी कमर
  • महाविकास अघाड़ी के हिस्सा हैं उद्धव ठाकरे

Narendra Modi Wave: कर्नाटक चुनाव में आए नतीजे के बाद विपक्ष हमलावर है, राहुल गांधी ने कहा कि शनिवार को कहा था कि नफरत की बाजार खत्म, अब मोहब्बत का बाजार शुरू। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि कर्नाटक(Karnataka Election results 2023) की जीत सिर्फ किसी राज्य विशेष तक सीमित नहीं है। इस बयान से आगे बढ़कर उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने कहा कि देश में अब मोदी लहर का खात्मा हो चुका है हमारी लहर आ रही है। 2024 के मद्देनजर हम लोगों की तैयारी शुरू हो चुकी है। रविवार को शरद पवार(Sharad Pawar) की अध्यक्षता में हम लोग बैठक करने जा रहे हैं। 2024(General Elections 2024) के चुनाव के बारे में चर्चा के साथ साथ आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।

सोशल मीडिया पर रिएक्शन

संजय राउत के बयान को दो तरह से समझने की जरूरत है, सोशल मीडिया में एक शख्स ने संजय राउत के ही एक बयान को शेयर किया है जिसमें वो कह रहे हैं मोदी देश की जरूरत, कुछ लोगों ने लालच की वजह से वोट नहीं दिया। लेकिन 2014-2019 में ज्यादातर लोगों ने वोट दिया और 2024 में भी देंगे। दूसरे यूजर ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि संजय राउत शिवसेना के नेता कम और एनसीपी के नेता अधिक नजर आ रहे हैं। तो किसी ने कहा कि हां अगला पीएम शिवसेना से होगा। कुछ ने कहा इसको फिर से अंदर डालो, परेशान कर रहा है, वहीं एक और शख्स ने कहा कि पार्टी गई पर अक्ल नहीं गई।

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों के मुताबिक अगर संजय राउत इस तरह की बात कर रहे हैं तो उसके पीछे आधार क्या है। क्या किसी दो राज्यों में हार से मोदी की लोकप्रियता के पैमाने को आंका जा सकता है। सवाल यदि चुनावी नतीजों का है तो यूपी में बीजेपी की ना सिर्फ नगर निगमों में जीत हुई है बल्कि नगर पंचायतों में भी जीत है जिसका जुड़ा ग्रामीण इलाकों से अधिक होता है। सवाल यह है कि आज को संजय राउत और उद्धव ठाकरे लिए पहचान बनाने की चुनौती है। आखिर आप किसी दूसरे के दम पर खुद की राजनीति कब तक कर सकेंगे। शरद पवार को भारतीय राजनीति में चतुर खिलाड़ी के तौर पर देखा जाता है। वो आपकी नैया कब तक पार लगाएंगे वो उस बात पर निर्भर करेगा कि पवार को वो सब कितने समय के लिए फायदेमंद नजर आता है।

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