संतो घर में झगड़ा भारी! आपस में ही उलझे हैं विपक्षी दल, कैसे देंगे 2024 में पीएम मोदी को चुनौती
विपक्षी दलों की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो यह दो मोर्चों पर उलझी है। एक तरफ कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है। इसके अलावा कांग्रेस विपक्षी दलों के गठबंधन में कम से कम तीन पार्टियों पर भरोसा नहीं कर पा रही है। विपक्षी में पीएम के चेहरे को लेकर भी लड़ाई है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट हो पाएगा विपक्ष?
- आंतरिक कलह से जूझ रही है कांग्रेस
- आप-टीएमसी और बीआरएस पर कांग्रेस को 'भरोसा' नहीं
- शरद पवार की पार्टी में भी कलह की खबरें
2024 में यानि कि अगले साल लोकसभा चुनाव (General Election 2024) होने हैं। इस बार के चुनाव में भी पीएम मोदी (PM Modi) के सामने विपक्ष कौन सा चेहरा उतारेगा, उसपर विपक्षी दलों के बीच रस्साकशी जारी है। हाल ये ही कि आपस में ही ये दल उलझे हुए हैं। किसी की अपनी पार्टी में फूट है, कोई दूसरी पार्टी को नापसंद करता है, तो कोई विपक्षी गठबंधन (Opposition Unity) में शामिल ही नहीं होना चाहता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आपस में ही उलझे ये विपक्षी दल, सही मायने में 2024 में पीएम मोदी के सामने कोई चुनौती पेश कर पाएंगे या फिर से एक बार पीएम मोदी की लहर देश में देखने को मिलेगी?
संतों घर में झगड़ा भारी
विपक्षी दलों की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो यह दो मोर्चों पर उलझी हुई है। एक तरफ कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है, जहां राजस्थान में सचिन पायलट बागी हो रखे हैं, सीएम की कुर्सी के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट पिछले कुछ सालों से आमने-सामने हैं। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट अलग पार्टी भी बना सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस विपक्षी दलों के गठबंधन में कम से कम तीन पार्टियों पर भरोसा नहीं कर पा रही है। इसमें दिल्ली की सत्ताधारी- आम आदमी पार्टी, तेलंगाना की सत्ताधारी-बीआरएस और पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी- टीएमसी। अतीत में तीनों पार्टियां कांग्रेस के बिना विपक्षी गठबंधन की वकालत कर चुकी हैं। हालांकि कर्नाटक जीत के बाद और दिल्ली अध्यादेश विवाद के बाद टीएमसी और आप कांग्रेस के साथ जाने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस साफ कर चुकी है कि उसे आप पर 'भरोसा' नहीं है। टीएमसी एक तरफ कांग्रेस के समर्थन की बात करती है और फिर कांग्रेस के ही विधायक को तोड़ लेती है। ऐसे में कांग्रेस टीएमसी पर भी शायद ही भरोसा करे।
बाकी विपक्षी दलों का हाल
अन्य विपक्षी दलों की बात करें तो शरद पवार की पार्टी एनसीपी में भी बवाल चल रहा है। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार, पहले भी बगावत कर चुके हैं और अब भी रह-रह कर खबरें आती रहतीं हैं कि वो बीजेपी के साथ जा सकते हैं। हाल ही में शरद पवार ने अपनी बेटी का कद पार्टी में बढ़ा दिया है, पवार के इस फैसले से शायद ही उनके भतीजे खुश हों। इसके बाद अगर शिवसेना उद्धव ठाकरे की पार्टी की बात करें तो इसके कौन सा नेता, कब टूटकर एकनाथ शिंदे के साथ चला जाए पता नहीं। यूपी में समाजवादी पार्टी कभी कांग्रेस के साथ आती दिखती है तो कभी अखिलेश यादव, ममता बनर्जी के रास्ते पर चलने की कोशिश करते दिखे हैं। बिहार में नीतीश कुमार खुद भले ही न बोले हों, लेकिन उनकी पार्टी के नेता और राजद उन्हें पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में देखते हैं, जो शायद ही कांग्रेस को मंजूर होगा। कर्नाटक की जेडीएस, विधानसभा चुनाव में हार के बाद से बीजेपी के साथ जाती दिख रही है।
ये हैं स्वतंत्र
विपक्षी दलों में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो परोक्ष रूप से बीजेपी के साथ हैं। कुछ पार्टियां साफ कर चुकी हैं कि वो विपक्षी दल के गठबंधन में या तीसरे मोर्चे में शामिल नहीं होंगी। कुछ इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। यूपी में बसपा और सुभासपा, ओडिशा की बीजेडी, तेलंगाना की एआईएमआईएम, आंध्रप्रदेश की टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस...ये वो पार्टियां हैं जो विपक्षी दल के गठबंधन में शायद ही शामिल हों।
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