Sawal Public Ka: क्या कांग्रेस से लेकर विपक्षी पार्टियों को 'कमल' से डर लगता है?
Sawal Public Ka: अगले महीने से ही भारत 20 शक्तिशाली देशों के समूह G-20 शिखर सम्मेलन की अगुवाई करेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका लोगो लॉन्च किया। वह कमल है। इसके बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेता इसका विरोध करने लगे।
- एक धरती, एक परिवार..कमल पर क्यों तकरार?
- एंटी हिंदू सोच की पराकाष्ठा..कमल से विपक्ष क्यों चिढ़ा?
- कमल तो बहाना है...2024 असली निशाना है?
Sawal Public Ka: भारत के गौरव के इतिहास में एक नया पन्ना जुड़ा लेकिन जश्न की जगह कई लोगों का चेहरा उतर गया। अगले महीने से ही भारत 20 शक्तिशाली देशों के समूह G-20 की अगुवाई करेगा। वाकई ये उस न्यू इंडिया के लिए गर्व की बात है, जिसकी बात प्रधानमंत्री मोदी करते हैं। लेकिन इस देश में एक बड़ा वर्ग ऐसा खड़ा हो गया है। जिसे सो कॉल्ड इको सिस्टम भी कहा जाता है। ये वो लोग हैं जिनके सामने गर्व-सम्मान जैसा शब्द आते ही..मातम पसर जाता है। इस बार विवाद उस सिम्बॉलिक कमल को लेकर छेड़ा गया है जो G-20 के लोगो में है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एंटी हिंदू सोच की पराकाष्ठा के कारण ही विपक्ष कमल से इतना चिढ़ा है?
कमल को लेकर कांग्रेस के नेता, RJD, JDU सब बोलने लगे। किसने क्या कहा ये आगे बताएंगे। छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव की मेयर हेमा देशमुख ने एक धर्मांतरण समारोह में हिस्सा लिया। इस समारोह में जो कुछ हुआ उसे लेकर हंगामा मचा हुआ है। पहले सुनिए कि इस धर्मांतरण में ऐसा क्या हुआ? बीजेपी का आरोप है कि हेमा देशमुख ने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया। दर्शकों..संयोग या प्रयोग भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में दो बेहद चर्चित शब्द रहे हैं।
हम आपके सामने 5 तस्वीरें रख रहे हैं। पहली तस्वीर शिवराज पाटिल की है। जिन्होंने गीता में कृष्ण-अर्जुन संवाद को जिहाद बताया। शिवराज पाटिल पूर्व गृह मंत्री रहे हैं। अब पूर्व विदेश मंत्री की भाषा सुनें। हिंदुत्व की तुलना ISIS और बोकोहरम से की। तीसरी तस्वीर में कांग्रेस के सीनियर लीडर और थिंक टैंक में शामिल राशिद अल्वी की बात है। जिन्हें श्रीराम का नारा लगाने वाले निशाचर यानि राक्षस लगे। और तो और अब इनके एक कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने हिंदू शब्द को ही गाली बता दिया। और सबसे आखिरी तस्वीर जिसमें एक मेयर की सनातन विरोधी शपथ। अब हम आप दर्शकों पर छोड़ते हैं..बताएं ये सब संयोग है या प्रयोग है।
अब फिर से कमल को लेकर छिड़ी महाभारत पर लौटती हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए G-20 प्रेसिडेंसी का का लोगो, थीम और वेबसाइट लॉन्च की। इस लोगो में सात पंखुड़ियों वाले खिलते हुए एक कमल फूल को दिखाया गया। प्रधानमंत्री ने इस कमल को लेकर क्या कहा उसे सुनिए
ऐसे समय में जब दुनिया महामारी से निकलकर विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी दिख रही है। कोई दुनिया को आशा और विश्वास के साथ खड़ा करने की बात कर रहा। तो कोई इसी में फुंक रहा कि कमल को क्यों सिंबल के तौर पर दिखाए। कहते हैं कि जाकी रही भावना जैसी। और भावना की बात मैंने कि तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश के ट्वीट के बारे में बताएं। उन्होंने लिखा कि "ये हैरान करने वाला है..। आगे उन्होंने ये भी लिखा कि 'मोदी जी और BJP खुद का प्रचार करने का कोई मौका नहीं गंवाते हैं'। इसको लेकर कांग्रेस लीडर राशिद अल्वी ने भी रिएक्शन दिया..वो दो कदम और आगे बढ़ गए। बीजेपी ने पलटवार किया।
सबकी बात सुना दी। सबकी सच्चाई आपके सामने रख दी। अब कुछ फैक्ट्स आपको दिखाते हैं। दो तस्वीरों के जरिए फैक्ट्स देखें। एक तस्वीर बीजेपी के कमल निशान की है और दूसरी G-20 के प्रेसिडेंसी लोगो की। बीजेपी के कमल निशान में 5 Petals यानी 5 पंखुड़ियां हैं। जबकि G-20 के लोगो में सात Petals हैं। ये सात Petals सात महादेश, सात महासागर और संगीत के सात सुरों के प्रतीक हैं। इसके अलावा बीजेपी के कमल में फूल के नीचे का हरा हिस्सा, डंठल और पानी दिखता है। जबकि G-20 के लोगो में सिर्फ सात Petals वाला खिलता कमल दिख रहा है। इसका रंग तिरंगे वाला है और इसके ऊपर ग्लोब है।
G-20 के लोगो के लिए ओपन एंट्री रखी गई थी। इसके लिए देशभर से करीब दो हजार एंट्रीज आईं। जिसके बाद सरकारी कमेटी ने रिव्यू करके इस कमल वाले लोगो को चुना। ये तो वर्तमान की बात हुई लेकिन इतिहास के पन्नों को भी पलटना जरूरी है।
- साल 1958 में IIT बॉम्बे की स्थापना हुई। तब IIT बॉम्बे के लोगो में कमल का फूल की तस्वीर थी।
- 1968 में RBI ने 20 पैसे का सिक्का जारी किया, उसमें भी कमल का फूल था।
- 1979 में भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया। उसमें भी कमल फूल का चित्र था।
- ऐसे कई example हैं। जब अलग-अलग सरकारों ने भारतीय संस्कृति में कमल फूल के importance को समझा। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि हमने जो तीनों तस्वीरें दिखाईं। वो बीजेपी की स्थापना से पहले के हैं।
इतिहास की बात कर ही रहे हैं तो सनातन इतिहास में भी कमल कहां है वो दिखा देते हैं। पुराण से लेकर गीता तक के श्लोक में कमल का जिक्र किस संदर्भ में हैं ये भी सुना जाना चाहिए।
तो आज पब्लिक का सवाल है:-
सवाल नंबर-1
एक धरती, एक परिवार तो 'कमल' पर क्यों तकरार ?
सवाल नंबर-2
क्या ये एंटी हिंदू सोच की पराकाष्ठा नहीं है तो फिर..'कमल' से विपक्ष क्यों चिढ़ा ?
सवाल नंबर-3
हिंदू देवी-देवता को नहीं मानेंगे..'कमल' को नहीं पहचानेंगे..लेकिन वोट चाहिए ?
सवाल नंबर-4 और सबसे बड़ा सवाल..
क्या कांग्रेस से लेकर विपक्षी पार्टियों को कमल से डर लगता है ?
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited