Sawal Public Ka: हिजाब महिलाओं का मुद्दा या जिहादियों का, तय करो! हिजाब निजी या इस्लामिक?
Sawal Public Ka: हिजाब (Hijab) पर आए सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले को हर एक पक्ष अपने-अपने नजरिये से देख रहा है और अपनी-अपनी जीत बता रहा है। सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच पूरे मसले को किन कानूनी पहलुओं पर परखेगी। ये बाद की बात है। सवाल पब्लिक का है कि वो कौन सी सोच है जहां कट्टरपंथियों का एजेंडा, देश के कुछ नेताओं की सोच से तालमेल खाता है? आखिर हिजाब महिलाओं का मुद्दा है या जेहादियों का?
वाह ! एक ओर कोर्ट में Matter of Choice की दलील, अपनी पसंद से पहनने की आजादी का ढोल तो दूसरी ओर महिलाओं के पहनावे पर आवारगी को मापने वाला थर्मामीटर। बात सिर्फ एक शफीकुर्रहमान बर्क की नहीं। आप याद कीजिए, मसला क्या था- स्कूलों में यूनिफार्म की जगह हिजाब की आजादी मिले या नहीं? लेकिन मसला क्या बन गया, देश में हिजाब की आजादी पर सवाल क्यों? और इस हिजाब मुद्दे को किस-किसने बड़ा किया? शफीकुर्रहमान बर्क, असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने और यहां तक एक हिजाबी लड़की के साथ फोटो खिंचाकर राहुल गांधी तक ने।
हिजाब पर एजेंडे के साथ कौन आगे आया...बैन हो चुका PFI और CFI...। अलकायदा चीफ अयमन अल जवाहिरी तक ने हिजाब के लिए प्रदर्शन करने वाली मुस्कान खान को शाबादी देने वाला वीडियो जारी किया। सवाल पब्लिक का है कि वो कौन सी सोच है जहां कट्टरपंथियों का एजेंडा...देश के कुछ नेताओं की सोच से तालमेल खाता है? आखिर हिजाब महिलाओं का मुद्दा है या जेहादियों का?
हिजाब पर आए सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले को हर एक पक्ष अपने-अपने नजरिये से देख रहा है और अपनी-अपनी जीत बता रहा है। सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच पूरे मसले को किन कानूनी पहलुओं पर परखेगी...ये बाद की बात है। लेकिन आज के फैसले के बाद मैंने शफीकुर्रहमान बर्क की प्रतिक्रिया की बात की। उनकी प्रतिक्रिया सुनिए और समझने की कोशिश कीजिए कि क्या वाकई हिजाब मुस्लिम महिलाओं की आजादी का मसला है, जैसा की दावा किया गया है?
हिजाब इस्लाम का मसला है या महिलाओं की आजादी का मसला है या जहां से मामला शुरू हुआ था, यानी...क्या ये स्कूलों में यूनिफॉर्म को मानने या नहीं मानने का मसला है? आप Confuse हो जाएंगे...और आप के दिमाग में ये Confusion फैले...हिजाब के एजेंडाधारियों ने जानबूझकर ये कोशिश की है।
हिजाब पर रोक के खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस धूलिया ने भी अपने फैसले में कहा - मेरे फैसले का आधार ये है कि इस विवाद में आवश्यक धार्मिक रीति का विचार जरूरी नहीं था। हाई कोर्ट ने गलत राह चुन ली। ये मैटर ऑफ च्वाइस और आर्टिकल 14 और 19 का मामला है।
यानी हिजाब पर रोक के खिलाफ फैसला देने वाले जस्टिस धूलिया भी हिजाब को इस्लाम का अंग बताने वाली दलील को ठुकरा रहे हैं। सवाल ये है कि कर्नाटक हाई कोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट, हिजाब को Essential Religious Practice बताने की दलील कहां से आई? जाहिर है उसी पक्ष से...जो हिजाब के समर्थन में खड़ा है। बहरहाल, आप सुनिए असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा क्या है?
भारत में जहां हिजाब पहनने को लेकर हंगामा खड़ा किया गया है तो वहीं इस्लामिक देश ईरान की महिलाएं हिजाब नहीं पहनने के खिलाफ ताकतवर इस्लामिक सत्ता से लोहा ले रही हैं। ईरान की हिजाब पुलिस के अत्याचार से मारी गई महसा अमीनी अब वहां क्रांति का दूसरा नाम हो गई है। करीब-करीब 1 महीने से लगभग पूरे ईरान में महिलाएं हिजाब के खिलाफ अपनी जान की परवाह किए बिना सड़कों पर निकल रही हैं।
हिजाब को थोपने के खिलाफ विद्रोह कर रही हैं। और अब ये विद्रोह सिर्फ ईरान तक सीमित नहीं...ये विद्रोह दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका है। मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक मारे गए ईरान में मारे गए एंटी हिजाब प्रदर्शनकारियों की संख्या एक सौ के आंकड़े को पार कर चुकी है। सवाल है कि जो हिजाब ईरान में महिलाओं के शोषण का सिम्बल बना है वो भारत में महिलाओं की आजादी का मामला कैसे हो सकता है ?
हिजाब पर शफीकुर्रहमान बर्क ने आवारगी वाला कॉन्सेप्ट सामने रखा है। लेकिन इसके ठीक उलट हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज क्या कह रहे हैं। इसे भी आपको सुनवाते हैं ताकि हिजाब की आज की बहस थोड़ा और बड़े दायरे में हो।
सवाल पब्लिक का
1.हिजाब के समर्थक बताएं कि आवारगी का हिजाब से लेना-देना कैसे है ?
2. क्या हिजाब के नाम पर स्कूलों के यूनिफॉर्म के मुद्दे को जानबूझकर भटकाया गया ?
3. भारत में हिजाब का मामला मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है या जेहादी सोच के समर्थकों का?
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