तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-लड्डू में मिलावट के क्या सबूत? भगवान को तो राजनीति से दूर रखिए
अदालत ने कहा कि मिलावटी घी के मामले में एसआईटी को जांच करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था।
तिरुपति लड्डू विवाद
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था, इसके क्या सबूत हैं।
- SIT के किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री को प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी
- रिपोर्ट देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था
Tirupati laddus Row: तिरुपति के लड्डू विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था, इसके क्या सबूत हैं? अदालत ने कहा कि जब सरकार ने जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया है तो उसके किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री को प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी? अदालत ने कहा कि मिलावटी घी के मामले में एसआईटी को जांच करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था।
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई की। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिस पर सुनवाई हुई। सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच की मांग की गई है। सुनवाई के दौर वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वामी खुद टीटीडी (TTD तिरूमुला तिरूपति देवस्थानम) में मेंबर रह चुके है।
अदालत में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने पूछा, जिस लड्डू का अलग स्वाद का था, क्या उसे यह पता करने के लिए एनडीडीबी (NDDB) को भेजा गया था कि क्या उसमें मिलावटी सामग्री थी? हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मिलावटी घी के मामले में एसआईटी को जांच करनी चाहिए। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने जो बयान दिया उस पर जिससे सीधे लोगों की धार्मिक आस्था पर असर पड़ा है। हमारा मानना है कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
वकील सिदार्थ लूथरा ने कहा कि 6 जुलाई को नई सप्लाई आई। इसे लैब में भेजा गया। हमें लैब रिपोर्ट मिली। ये घी इस्तेमाल नहीं हुए थे। इस पर अदालत ने पूछा कि क्या लैब ने 12 जून के टैंकर और 20 जून के टैंकर के सैंपल लिए थे? एक बार जब आप सप्लाई को मंजूरी दे देते हैं, और घी मिलाया जाता है, तो आप कैसे अलग करते हैं? आप यह कैसे पहचानते हैं कि कौन सा ठेकेदार है?
क्या घी को प्रसाद के लिए इस्तेमाल किया गया?इस पर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में निजी विक्रेताओं से घी की खरीद शुरू की गई। गुणवत्ता के बारे में शिकायतें आईं। हमने टेंडरकर्ता को शो-कॉज नोटिस दिया। जस्टिस गवई ने पूछा कि जो घी मानकों के अनुसार नहीं पाया गया, क्या उसे प्रसाद के लिए इस्तेमाल किया गया? अदालत ने कहा कि आप कह सकते हैं कि टेंडर गलत तरीके से आवंटित किए गए हैं। लेकिन यह कहना कि यह घी इस्तेमाल किया गया है, उसका सबूत कहां है? इस मिलावटी घी का उपयोग किस सामग्री में प्रसाद के लिए किया गया था? प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
भगवान को राजनीति से दूर रखेंराज्य सरकार की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि घी के जांच में खामियां मिली थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने SIT का गठन किया है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच लंबित रहने तक, ऐसे संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा दिए गए बयान से एसआईटी पर क्या असर होगा? अगर शिकायतें थीं, तो आपको हर टैंकर से नमूने लेने चाहिए थे।
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