जस्टिस BR Gavai ने पेश की नजीरः निर्णय देने में हुई दो माह की देरी तो मानी गलती, माफी भी मांगी

Who is Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई को साल 2019 में टॉप कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। ऐसा तब के सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व में एक कॉलेजियम की ओर से नॉमिनेशन के बलबूत हुआ था। वह इससे पहले 15 साल तक बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के तौर पर अपनी सेवाएं (नवंबर 2003 से मई 2019 के बीच) दे चुके हैं।

Justice BR Gavai

जस्टिस बीआर गवई। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Who is Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई ने न्यायपालिका के लिए एक बड़ी नजीर पेश की है। उन्होंने फैसला सुनाने में हुई लंबी देरी को लेकर गलती मानी और माफी भी मांगी। मंगलवार (10 जनवरी, 2023) को उन्होंने कहा कि मैं फैसला सुनाने में की गई देरी को लेकर माफी मांगता हूं। हालांकि, उन्होंने इस दौरान निर्णय में देरी के पीछे का कारण भी स्पष्ट किया।

दरअसल, जस्टिस गवईऔर एमएम सुंदरेश की बेच चंडीगढ़ में एकल आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में परिवर्तित करने के पैमाने पर चलन के खिलाफ याचिका पर निर्णय दे रहे थे। जज की ओर से इस दौरान कहा गया- हमें विभिन्न अधिनियमों के सभी प्रावधानों और उनके तहत बनाए गए नियमों पर विचार करना था।

जज ने यह भी समझाया कि आखिरकार फैसला दो महीनेसे अधिक समय के बाद क्यों दिया गया, जो कि तीन नवंबर, 2022 के बाद सुरक्षित रख लिया गया था। बेंच की ओर से जस्टिस गवई ने आगे बताया- वक्त आ गया है कि केंद्र और राज्य स्तर पर विधायिका, कार्यपालिका और नीति बनाने वाले लोग उन चीजों का संज्ञान लें, जिनके कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। वे इसके साथ ही जरूरी कदम भी सुनिश्चित कराएं, ताकि हमारा पर्यावरण खराब न हो।

एक नजर में जानिए, कौन हैं जस्टिस गवई?62 साल के जस्टिस गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है। मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज हैं। उन्होंने 24 मई, 2019 को कार्यभार संभाला था, जबकि वह 23 नवंबर, 2025 को रिटायर होंगे। 1985 में वह एडवोकेट के रूप में एनरॉल हुए थे, जबकि उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में मुख्य रूप से प्रैक्टिस की। वह इसके अलावा सरकारी प्लीडर और उसके बाद महाराष्ट्र सरकार में सरकारी प्रॉसिक्यूटर के तौर पर काम कर चुके हैं। जज के नाते उनके करिअर की बात करें तो वह 14 नवंबर, 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए थे और उन्होंने वहां पर जज के नाते 16 साल दिए।

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अभिषेक गुप्ता author

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