ध्वस्तीकरण मामला: अवमानना की याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार, कहा- नहीं खोलना चाहते भानुमति का पिटारा
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हरिद्वार, जयपुर और कानपुर में प्राधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवमानना करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसकी अनुमति के बिना ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court on Demoliton Order: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों पर संपत्तियों के ध्वस्तीकरण संबंधी उसके आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कथित कृत्य से जुड़ा नहीं है। पीठ ने कहा कि हम भानुमती का पिटारा नहीं खोलना चाहते।
प्रभावित लोगों की सुनवाई होगी
अदालत ने कहा कि वह संपत्तियों के ध्वस्तीकरण से प्रभावित लोगों की सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हरिद्वार, जयपुर और कानपुर में प्राधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवमानना करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसकी अनुमति के बिना ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें यह दलील दी गई थी कि कई राज्यों में अपराध के आरोपियों की संपत्तियों सहित अन्य संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है।
1 अक्टूबर तक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर के अपने आदेश में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को एक अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं करने का निर्देश था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक वह मामले में निर्णय नहीं करती। हालांकि उसने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइन या जलाशयों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा।
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