2023 महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, जानिए क्या-क्या कहा
21 सितंबर, 2023 को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक को संसदीय मंजूरी मिल गई थी। संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने लगभग सर्वसम्मति से और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट
2023 Women Reservation Act- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2023 नारी शक्ति वंदन अधिनियम में परिसीमन खंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं में दखल से इनकार कर दिया, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जया ठाकुर और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (NFIW) द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया।
याचिका को निरर्थक बताकर खारिज किया
पीठ ने बताया कि जया ठाकुर की याचिका ने उस विधेयक को चुनौती दी थी, जो अधिनियम बन गया है, जबकि एनएफआईडब्ल्यू ने कानून के परिसीमन खंड को चुनौती दी थी। ठाकुर की याचिका को निरर्थक बताकर खारिज कर दिया गया, अदालत अनुच्छेद 32 के तहत एनएफआईडब्ल्यू की याचिका पर सुनवाई के लिए इच्छुक नहीं थी। अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय या किसी अन्य उचित मंच पर जा सकती हैं।
21 सितंबर, 2023 पारित
21 सितंबर, 2023 को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक को संसदीय मंजूरी मिल गई थी। संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने लगभग सर्वसम्मति से और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया - लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण - महिलाओं के लिए निर्धारित की जाने वाली विशेष सीटों का पता लगाएगी। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कोटा 15 साल तक जारी रहेगा और संसद बाद में लाभ की अवधि बढ़ा सकती है।
1996 से ही इस बिल को संसद में पास कराने की कोशिशें हो रही थीं और ऐसी आखिरी कोशिश 2010 में हुई थी, जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण के बिल को मंजूरी दे दी थी, लेकिन लोकसभा में ये पास नहीं हो सका। आंकड़ों से पता चलता है कि महिला सांसदों की लोकसभा की कुल संख्या में लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है। 29 सितंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक पर अपनी सहमति दे दी।
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