Bhopal Gas Tragedy Case: भोपाल गैस ट्रैजेडी मामले में पीड़ितों को झटका, SC में खारिज हुई मुआवजे की अर्जी

Bhopal gas tragedy: साल 1984 की भोपाल गैस त्रासदी केस के पीड़ितों को झटका लगा है। अधिक मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी खारिज हो गई है।

bhopal gas tragedy

भोपाल गैस त्रासदी।

Bhopal gas tragedy: साल 1984 की भोपाल गैस त्रासदी केस के पीड़ितों को झटका लगा है। अधिक मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी खारिज हो गई है। पीड़ितों के लिए मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव) दायर की थी। सरकार की इस अर्जी से पीड़ितों को अधिक मुआवजा मिलने की उम्मीद थी। कोर्ट ने कहा कि मामले की दोबारा सुनवाई पैंडोरा बॉक्स को खोलने जैसा होगा।

कोर्ट ने कहा कि केस दोबारा खोलने से पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि इस केस को दोबारा खोलने पर पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी। सरकार ने साल 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा था। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट 12 जनवरी 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

'RBI में मौजूद 50 करोड़ रु. की राशि का इस्तेमाल करे सरकार'

अधिक मुआवजे देने की केंद्र सरकार की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि 'भारतीय रिजर्व बैंक में 50 करोड़ रुपए की राशि पड़ी हुई है। लंबित दावों को निपटारे के लिए सरकार इस धन का इस्तेमाल कर सकती है।' तीन दिसंबर 1984 को भोपाल स्थित अमेरिकी यूनियन कर्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइट का रिसाव हुआ था। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि इस घटना में करीब 3000 लोगों की मौत हुई। हालांकि, कई रिपोर्टों में 15,000 लोगों की मौत होने के दावे किए जाते हैं। अब इस कंपनी का मालिकाना हक डॉउ केमिकल्स के पास है।

पैंडोरा बॉक्स खुलने जैसा होगा मामले की दोबारा सुनवाई

कोर्ट ने कहा, 'इस केस को यदि दोबारा से खोला जाता है तो यह पैंडोरा बॉक्स जैसा होगा और यह नुकसानदायक साबित होगा। इसलिए सरकार की उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पेटिशन) पर सुनवाई नहीं की जा सकती।' हालांकि, कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि बीमा पॉलिसी लेने में नाकामी भारत सरकार की तरफ से घोर लोपरवाही है।

47 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया

केंद्र इस बात पर जोर देता रहा है कि 1989 में मानव जीवन और पर्यावरण को हुई वास्तविक क्षति का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका था। हादसे के वर्षों बाद यूनियन कार्बाइड संयंत्र ने 47 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया था। सरकार 1989 में हुए समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 715 करोड़ रुपये के अलावा अमेरिका स्थित यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से मुआवजे के रूप में 7,844 करोड़ रुपए और चाहता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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