What is Sengol: चोल साम्राज्य से है राजदंड 'सेंगोल' का रिश्ता, विस्तार से जानकारी

What is Sengol: त्रिभुज के आकार में संसद के नए भवन को बनाया गया है। संसद के नए भवन में कई तरह की खासियत इसे समकालीन इमारतों से अलग करती है। इसके साथ ही 28 मई को जब इमारत को देश को समर्पिक किया जाएगा तो आप को भारत के गौरवशाली इतिहास का भी दिखेगा।

What is Sengol: भारतीय संसदीय इतिहास में 28 मई का दिन खास दिन के तौर पर अंकित हो जाएगा। इस खास दिन पीएम नरेंद्र संसद भवन (Parliament new building)की नई इमारत को देश को समर्पित करने वाले हैं। इससे ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्पीकर की कुर्सी के पास राजदंड सेंगोल को रखा जाएगा। सेंगोल को म्यूजियम में रखना ठीक नहीं है। सेंगोल का ना सिर्फ देश की आजादी से खास रिश्ता है, बल्कि इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है। चोल साम्राज्य 100 एडी से लेकर 250 एडी और बाद में 700 एडी से लेकर 950 एडी तक दक्षिण भारत के एक बड़े हिस्से पर राज किया। राजेंद्र चोल और राजराज चोल मशहूर शासक रहे हैं। चोल साम्राज्य(Sengol Chola dynasty) में परंपरा रही है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता था संगोल उत्तराधिकारी को दिया जाता और इस तरह से सत्ता हस्तांरण की प्रक्रिया को पूर्ण होती थी।

सेंगोल का इतिहास

  • सेंगोल तमिल शब्द है जिसका मतलब धनधान्य से भरपूर होता है।
  • सेंगोल इलाहाबाद संग्रहालय में था और अब दिल्ली लाया गया है। यह राष्ट्रीय संग्रहालय में है। इसका वजन 800 ग्राम,गोल्ड प्लेटेड और लंबाई 5 फीट है।
  • 1960 से पहले यह आनंद भवन में था।
  • 1960 में इसे इलाहाबाद संग्रहालय भेजा गया।
  • 1978 कांचीपुरम मठ प्रमुख ने एक किताब लिखी और राजदंड के बारे में घटना सुनाई। तमिल मीडिया इसके बारे में लिखता रहा।
  • करीब डेढ़ साल पहले पीएम को बताया गया था। लेकिन कहां है इसका पता नहीं चल सका तीन से चार महीने तक गहन खोज की गई।
  • इलाहाबाद म्यूजियम के क्यूरेटर ने मंत्रालय को मैसेज कर इस छड़ी के बारे में बताया। हम इसे अंदर ले आए। इस पर तमिल शिलालेख है कि यह नेहरू को दिया गया था।
  • सेंगोल के शीर्ष पर नंदी हैं।
  • 28 मई को अधीनम संप्रदाय के 20 पुजारी आएंगे, अधीनम शैव मठ हैं।

माउंटबेटन ने जब जवाहर लाल नेहरू से किया था सवाल

ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहर लाल नेहरू से एक सवाल पूछा था कि जब भारत को आजादी मिलेगा को तो सत्ता हस्तांतरण के लिए किस प्रतीक का इस्तेमाल करेंगे। माउंटबेटन के इस सवाल पर जवाहर लाल नेहरू ने अंतिम गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी की ओर रुख किया। राजगोपालाचारी(राजाजी उपनाम) ने प्रधान मंत्री नेहरू को सत्ता में आने पर राजदंड सौंपने वाले महायाजक की तमिल परंपरा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज से भारत की स्वतंत्रता को चिह्नित करने के लिए इस परंपरा का पालन किया जा सकता है।

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