वक्फ एक्ट के समर्थन में 7 राज्यों ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, जानिए अपनी दलीलों में क्या-क्या कहा

सात राज्यों ने वक्फ कानून के समर्थन में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और मामले में हस्तक्षेप करने और अदालत के समक्ष अपनी दलीलें रखने की मांग की है।

waqf act

वक्फ एक्ट का समर्थन

Waqf Act in Supreme Court- एक तरफ जहां वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर सियासत और विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है, वहीं सात राज्यों ने इसका समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दायर की गई हैं। वहीं, सात राज्यों ने इस कानून के समर्थन में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और मामले में हस्तक्षेप करने और अदालत के समक्ष अपनी दलीलें रखने की मांग की है। इन राज्यों का तर्क है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने और बेहतर शासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अहम सुधार पेश करता है।

राज्यों की दलीलें

मध्य प्रदेश: राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि इस मामले में उठाई गई संवैधानिक आपत्तियां भेदभावपूर्ण व्यवहार, मनमानी से संबंधित है और इनका कोई आधार नहीं है, इन्हें शुरू में ही खारिज कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, इसने कहा कि यह अधिनियम पारदर्शिता, जवाबदेही और शासन तंत्र को बढ़ाकर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और रेगुलेशन में पर्याप्त सुधार लाएगा।

छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ की दलील के अनुसार, इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ बोर्ड को अधिक समावेशी बनाना है, जिसमें बेहतर वक्फ शासन और प्रशासन के लिए विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों का प्रतिनिधित्व शामिल है। राज्य का दावा है कि वक्फ एक्ट वक्फ प्रशासन के लिए एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली बनाता है है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाना है।

असम: राज्य सरकार ने बताया है कि नई जोड़ी गई धारा 3ई अनुसूचित या जनजातीय क्षेत्रों (पांचवीं अनुसूची या छठी अनुसूची) में किसी भी भूमि को वक्फ घोषित करने पर रोक लगाती है। असम में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले कुल 35 में से आठ प्रशासनिक जिले हैं।

राजस्थान: सरकार ने कहा है कि यह न सिर्फ संवैधानिक रूप से मजबूत और गैर-भेदभावपूर्ण है, बल्कि पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही के मूल्यों पर भी आधारित है, और धार्मिक बंदोबस्त सहित जनता के हितों की रक्षा करता है। राजस्थान की याचिका में कहा गया है कि यह कानून किसी भी धार्मिक समूह के साथ कोई असमान व्यवहार नहीं करता है और न ही भेदभाव करता है। यह केवल गैरकानूनी दावों को रोकने के लिए एक उचित कानूनी ढांचा निर्धारित करता है।

इसके अलावा महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड ने भी आवेदन दायर कर कहा है कि संशोधन अधिनियम में वक्फ परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक सुव्यवस्थित, तकनीकी और कानूनी रूप से मजबूत ढांचे की परिकल्पना की गई है। साथ ही साथ लाभार्थियों के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया गया है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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