प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन उतरे कई नौकरशाह, दाखिल की याचिकाएं; आज सुप्रीम कोर्ट में होनी है अहम सुनवाई
Places of Worship Act: पूर्व नौकरशाहों ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली हैं। कानून के समर्थन में दलील देते हुए इन नौकरशाहों ने कहा है कि प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट संसद द्वारा पारित कोई साधारण कानून नहीं बल्कि संविधान के मूलभूत उद्देश्य भाईचारा और सेकुलरिज्म को सुरक्षित रखने वाला कानून है।
वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई
Places of Worship Act: प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इन याचिकाओं में एक्ट की कानूनी वैधता पर सवाल उठाया गया है और इसे रद्द करने की मांग की गई है। सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक्ट के समर्थन में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें कहा गया है कि सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए देश में इस कानून का होना बहुत जरूरी है।
वामपंथी विचारधारा वाले बुद्धिजीवियों ने एक्ट के समर्थन में याचिका (इटरवेंशन एप्लिकेशन) लगाई है। इनमें कहा गया है कि देश के सामाजिक ताने बाने, सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखने के लिए इस कानून का होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा पूर्व नौकरशाहों ने भी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली हैं। कानून के समर्थन में दलील देते हुए इन नौकरशाहों ने कहा है कि प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट संसद द्वारा पारित कोई साधारण कानून नहीं बल्कि संविधान के मूलभूत उद्देश्य भाईचारा और सेकुलरिज्म को सुरक्षित रखने वाला कानून है।
धार्मिक समरसता के लिए कानून जरूरी
याचिका में दलील दी गई है कि यह देश न केवल सबसे पुरानी मानव सभ्यताओं में से एक बल्कि कई धर्मों और धार्मिक संप्रदायों का उद्गम स्थल रहा है। यह भी रिकॉर्ड की बात है कि इस राष्ट्र के इतिहास में धर्म की सर्वोच्चता और प्रचार-प्रसार के लिए संघर्ष होते रहे हैं। आगे एक अजीब गरीब दलील देते हुए कहा गया है कि अधिनियम इसलिए लाया गया था ताकि इतिहास में एक धर्म के द्वारा दूसरे धर्म के खिलाफ किए गए हमलों का खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को न भुगतना पड़े। ऐसे में धार्मिक समरसता बनाए रखने के लिए इस कानून का होना जरूरी है। ऐसी परिस्थितियों में अधिनियमित किया गया था और इसलिए यह अधिनियम सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
इन लोगों ने दाखिल की याचिकाएं
जावेद एम अंसारी, गोपाल कृष्ण पिल्लई( पूर्व IAS), नजीब जंग(फॉर्मर IAS और पूर्व LG दिल्ली), अमिताभ पाण्डेय(रिटायर्ड IAS)( डॉ एस वाई कुरैशी( पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त), अशोक कुमार शर्मा, सैयद मुस्तफा शेरवानी, सत्यवीर सिंह(रिटायर्ड IAS)( लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन(पूर्व AMU VC), सुरेश के गोयल, नवरेखा शर्मा(पूर्व IFS),अजय शुक्ला।
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