जिन्हें वंदे मातरम बोलने में तकलीफ है, उन्हें क्यों मिले महाकुंभ में प्रवेश? शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने पूछा ये सवाल

MahaKumbh 2025: महाकुंभ 2025 में मुस्लिमों के प्रवेश को लेकर छिड़ा विवाद अब तक थमा नहीं है। इसी बीच शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने प्रयागराज महाकुंभ में गैर हिंदुओं के प्रवेश के मामले में बड़ा बयान दिया है। महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश को लेकर छिड़े विवाद पर द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि वंदे मातरम बोलने में जिन्हें होती है तकलीफ उन्हें महाकुंभ में प्रवेश क्यों दिया जाए।

Shankaracharya Swami Sadanand Saraswati

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती।

Muslims in Maharkumbh: प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे ‘महाकुंभ’ में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की कुछ संगठनों की मांग के बीच मुस्लिम धर्मगुरु इसमें मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर एकमत नहीं हैं। महाकुंभ के आयोजन के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार है जब इसे लेकर मुसलमान भी चर्चा के केंद्र में हैं। इस बीच प्रयागराज महाकुंभ में गैर हिंदुओं के प्रवेश के मामले में शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने पूछा है कि जिन्हें वंदे मातरम बोलने में तकलीफ होती है, उन्हें महाकुंभ में प्रवेश क्यों दिया जाए। शंकराचार्य ने कहा कि मुगलों ने सैकड़ों सालों तक देश में राज किया, लेकिन मंदिरों को तोड़कर ही मस्जिदों का निर्माण किया गया। मंदिरों के अतिरिक्त खाली जमीनों पर मस्जिदें बनाई गई होती तो आज समस्या ही नहीं होती।

महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर क्या बोले शंकराचार्य?

प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर द्वारका के शारदापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया। शंकराचार्य का कहना है कि महाकुंभ में हम गंगा स्नान करते हैं, हनुमान जी की पूजा करते हैं, देवताओं का आह्वान करते हैं तो ऐसी जगह पर गैर हिंदुओं का जाने का कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि वह तो ना गंगा स्नान करते हैं ना हमारे देवी देवताओं का सम्मान करते हैं। ऐसे में महाकुंभ में गैर हिंदुओं के जाने से कोई मतलब का नहीं है।

जानबूझकर मंदिरों को ही तोड़कर मस्जिद बनाई- शंकराचार्य

इसके साथ-साथ शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मुगलों ने देश में राज किया और केवल हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों पर ही अपनी मस्जिद बनाई, जबकि उस जमाने में तो मंदिरों के अलावा भी बहुत सारी भूमि उनके कब्जे में थी लेकिन उन्होंने जानबूझकर मंदिरों को ही तोड़कर मस्जिद बनाई है। ऐसे में अगर आज खुदाई हो रही है तो कोई गलत बात नहीं है, क्योंकि हमारी परंपरा और संस्कृति उन्होंने मिटाने का काम किया। आज हमारे प्राचीन स्थल अगर हमको वापस मिल रहे हैं इसमें कोई गलत नहीं है यह हमारा अधिकार है।

आखिर क्या है माजरा, मुस्लिमों की एंट्री पर विवाद क्यों?

मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह देकर सुर्खियों में आए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में आशंका जताई कि महाकुंभ में सैकड़ों मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की योजना है, इसलिए सरकार ऐसे मंसूबों को नाकाम करने के लिये कदम उठाये। हालांकि, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा महाकुंभ में मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि यह मांग अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। हालांकि, अब मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने दूसरा नजरिया रखा है। रजवी ने कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से महाकुंभ में मुसलमान का धर्मांतरण करने की तैयारी की सूचना मिली थी, लिहाजा एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशंका से अवगत कराया है।

मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की अपनी सलाह को सही ठहराते हुए रजवी ने कहा, 'अखाड़ा परिषद और नागा संन्यासियों ने बैठक करके मुसलमानों पर महाकुंभ में दुकान लगाने पर पाबंदी लगाने की बात कही थी इसीलिए हमने मुसलमानों को किसी परेशानी से बचने के लिए महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह दी थी।'

महाकुंभ के आयोजन से पहले चर्चा की केंद्र में मुसलमान

जमीयत उलमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि शायद ऐसा पहली बार है जब महाकुंभ के आयोजन से पहले मुसलमान चर्चा की केंद्र में हैं। रशीदी ने कहा, 'ऐसी बातें करना संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है लिहाजा महाकुंभ में मुसलमान को प्रतिबंधित करने की बात करना संविधान की आत्मा को कुचलने जैसा है।' ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, 'अगर कोई मुसलमान अपने ज्ञानवर्धन के लिए महाकुंभ में जाता है तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। इस्लाम मजहब इतना हल्का और कमजोर नहीं है कि कहीं पर जाकर खड़े होने या कोई मेला देखने या किसी मजहबी इबादतगाह को देखने से वह खतरे में पड़ जाएगा।'

महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की मौलाना रजवी की आशंका के बारे में पूछे जाने पर अब्बास ने कहा, 'अगर किसी की धार्मिक आस्था की नींव मजबूत है तो कोई भी व्यक्ति उसका धर्मांतरण नहीं कर सकता।' अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हाल ही में कहा था कि इस बार कुंभ में आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश दिया जाए ताकि कोई गैर सनातनी मेला क्षेत्र में दाखिल ना होने पाए। बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कहा, 'आपने देखा होगा कि मोहन भागवत जी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विवाद खड़ा करके नेता बनना चाहते हैं। इस तरह के कुछ लोग हर जगह होते हैं। चार भाई हैं तो चारों का मिजाज एक तरह का नहीं होता। इसे कोई रोक भी नहीं सकता। यह हमेशा होता रहा है।' रजा ने कहा, 'मैं अनेक बार कुंभ में गया हूं और अनेक मुसलमान कुंभ में जाते हैं। मुस्लिम समाज के अनेक लोग महाकुंभ की व्यवस्था में लगते हैं। मुसलमानों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग करना सनातनी संस्कार नहीं है। मुसलमानों के कुंभ में आने पर पाबंदी लगाने की मांग करने वालों को यह सोचना पड़ेगा।'

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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