'पावर' के मंझे हुए खिलाड़ी हैं शरद पवार, सोनिया गांधी के विदेशी मूल को मुद्दा बनाया, कांग्रेस छोड़ बनाई NCP

Sharad Pawar News: राजनीति में एनसीपी के मौजूदा ताकत की अगर बात करें तो लोकसभा में इसके पांच सदस्य, राज्यसभा में चार सदस्य हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में इसके विधायकों की संख्या 53 है। महाराष्ट्र विधान परिषद में इसके 9 सदस्य, केरल विधानसभा में दो, गुजरात में एक, नगालैंड में सात, छत्तीसगढ़ में चार एमएलए हैं। जबकि पार्टी के सदस्यों की संख्या 20 लाख है।

NCP Sharad Pawar

सबसे कम उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।

Sharad Pawar : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अपने अस्तित्व में आने के बाद भारतीय राजनीति में तेजी से जगह बनाई। राकांपा का जन्म कांग्रेस से हुआ। सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर शरद पवार कांग्रेस से अलग हुए। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया की ताजपोशी पवार को पसंद नहीं आई। सोनिया के विरोध की कीमत पवार को चुकानी पड़ी। 25 मई 1999 को शरद पवार सहित कांग्रेस के तीन नेताओं को निष्कासित कर दिखाया गया। पवार के साथ दो अन्य नेताओं पीए संगमा और तारिक अनवर को कांग्रेस से छुट्टी कर दी गई। ये तीनों नेता अपने हजारों समर्थकों के साथ दिल्ली के गुरुद्वारा रकाब गंज रोड पर जुटे और यहां एनसीपी के नाम से नई पार्टी बनाई गई।

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तारिक अनवर, संगमा के साथ छोड़ी कांग्रेस

एनसीपी के अस्तित्व में आने से राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। शरद पवार को पार्टी का अध्यक्ष और तारिक अनवर एवं पीए संगमा महासचिव बनाए गए। अपने गठन के कुछ समय बाद ही एनसीपी को राष्ट्रीय पार्टी बन गई। गठन के बाद यह पार्टी दादाभाई नैरोजी, तिलक, जवाहर लाल नेहरू, एनी बेसेंट, मौलाना अब्दुल कलाम अजाद एवं नेताओं के विचारों एवं आदर्शों को आत्मसात कर आगे बढ़ती रही।

लोकसभा में NCP के पांच सदस्य

राजनीति में एनसीपी के मौजूदा ताकत की अगर बात करें तो लोकसभा में इसके पांच सदस्य, राज्यसभा में चार सदस्य हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में इसके विधायकों की संख्या 53 है। महाराष्ट्र विधान परिषद में इसके 9 सदस्य, केरल विधानसभा में दो, गुजरात में एक, नगालैंड में सात, छत्तीसगढ़ में चार एमएलए हैं। जबकि पार्टी के सदस्यों की संख्या 20 लाख है।

यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे

महाराष्ट्र से लेकर केंद्र की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाले इस मराठा क्षत्रप ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। साल 2004 में वह यूपीए सरकार में कृषि मंत्री बने। 2009 में यूपीए-2 की सरकार में भी मंत्री बने रहे। यही नहीं 1999 से 2014 तक महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार लगातार तीन कार्यकाल तक बनी रही।

2019 में अजित की बगावत चलने नहीं दी

2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद महाविकास अघाड़ी को आकार देने में पवार की एक बड़ी भूमिका रही। भाजपा के राजनीतिक दांव-पेंच से लेकर कानूनी अड़चनों को दूर करने में शिवसेना एवं कांग्रेस दोनों को पवार के व्यापक सियासी अनुभव का फायदा मिलता रहा है। साल 2019 में अजित पवार की बगावत को पवार ने चलने नहीं दी। एनसीपी प्रमुख की अपील एवं समझाने-बुझाने पर अजित वापस पार्टी में आ गए।

1958 में हुई राजनीति पारी की शुरुआत

पवार के राजनीतिक सफर की अगर बात करें तो इसकी शुरुआत 1958 में हुई। पवार ने अपनी सियासी सफर की शुरुआत युवा कांग्रेस से की। चार साल बाद वह पुणे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। इन्होंने विधानसभा का पहला चुनाव 1967 में अपने गृह क्षेत्र बारामती से जीता। इसके बाद पवार या तो यहां से विधायक चुने गए या सांसद। 1978 में पवार (38) महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।

सबसे कम उम्र में बने महाराष्ट्र के सीएम

पवार की प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिट फ्रंट (पीडीएफ) सत्ता में दो वर्षों तक रही। साल 1998 में वह दूसरी बार राज्य के सीएम बने। इसके बाद 1990 में एक बार फिर वह महाराष्ट्र के सीएम पद पर आसीन हुए। साल 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में वह रक्षा मंत्री बने। इसके बाद साल 1993 में वह चौथी बार महाराष्ट्र की कमान संभाली। 1995 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को जीत मिलने के बाद उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा।

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आलोक कुमार राव author

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