संसद के नए भवन में पूजा-हवन देख बोले शरद पवार, अच्छा हुआ नहीं गया

Parliament New Building Inauguration: एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि देश को पीछे ले जाया जा रहा है। वो संसद के नए भवन में पूजा-पाठ की तरफ इशारा कर रहे थे।

संसद के उद्घाटन पूजा-हवन की शरद पवार ने की आलोचना

Parliament New Building Inauguration: संसद के नए भवन के उद्घाटन पर विपक्ष की तरफ से तीखे और कड़वे बयान सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल ने तो संसद के नए भवन को ताबूत करार दिया। हालांकि ओवैसी और प्रमोद कृष्णन ने तीखी आलोचना की। बीजेपी भी पीछे नहीं रही। आरजेडी के ट्वीट में ताबूत वाले हिस्से को उनका भविष्य और संसद को देश का भविष्य बताया। लेकिन इन सबके बीच एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि अच्छा हुआ वो संसद के उद्घाटन का हिस्सा नहीं बने।हवन, बहुधार्मिक प्रार्थना और 'सेनगोल' के साथ नई संसद के उद्घाटन पर राकांपा प्रमुख शरद पवार के कहा उन्होंने सुबह घटना देखी। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे ले जा रहे हैं? क्या यह आयोजन सीमित लोगों के लिए ही था?

दलील अपनी अपनी जगह सही लेकिन

राजदंड ‘सेंगोल’ को लेकर विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष दोनों की दलीलों को अपनी- अपनी जगह सही बताया और अतीत के इस प्रतीक को अपनाकर वर्तमान मूल्यों को मजबूत करने का आह्वान किया।थरूर ने ट्वीट किया, ‘‘ ‘सेंगोल’ विवाद पर मेरा अपना विचार है कि दोनों पक्षों की दलीलें अपनी-अपनी जगह सही हैं। सरकार का तर्क सही है कि राजदंड पवित्र संप्रभुता तथा धर्म के शासन को मूर्त रूप देकर परंपरा की निरंतरता को दर्शाता है। विपक्ष का तर्क सही है कि संविधान को लोगों के नाम पर अपनाया गया था और यह संप्रभुता भारत के लोगों में, संसद में उनके प्रतिनिधित्व के रूप में मौजूद है और यह दैवीय अधिकार के तहत सौंपा गया किसी राजा का विशेषाधिकार नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में माउंटबेटन द्वारा (जवाहरलाल) नेहरू को दिए गए राजदंड के बारे में अप्रासंगिक जानकारियों को छोड़ दिया जाए तो दोनों पक्षों के रुख के बीच सामंजस्य बैठाया जा सकता है। (राजदंड संबंधी) यह एक ऐसी कहानी है जिसका कोई सबूत नहीं है।’’

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