गौतम अडानी- वीर सावरकर पर शरद पवार के रुख को समझिए, क्या कांग्रेस से बढ़ रही है दूरी

Sharad Pawar on Gautam Adani and Veer Savarkar: राजनीति में अगर हर समय एक जैसा रहता तो विरोध की गुंजाइश कहां होती। लेकिन मौसम की तरह नेताओं के नजरिए बदलते रहते हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी और उद्धव ठाकरे गुट कांग्रेस के साथ है। लेकिन वीर सावरकर और गौतम अडानी के मुद्दे पर एक घटक यानी एनसीपी की राय अलग है।

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शरद पवार, एनसीपी सुप्रीमो

Sharad Pawar on Gautam Adani and Veer Savarkar: एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार(NCP Chief Sharad Pawar) के बारे में कहा जाता है कि वो राजनीति की धार पर बारीकी नजर रखते हैं और उनके बयान नपे तुले होते हैं। राहुल गांधी ने जब कहा कि वो सावरकर नहीं बल्कि गांधी हैं तो पवार ने कहा कि सावरकर की भूमिका को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। इसी तरह गौतम अडानी(Gautam Adani Hindenburg Report) के मुद्दे पर भी वो खुलकर बोलते नजर आए। उन्होंने कहा कि आखिर हिंडेनबर्ग रिपोर्ट की विश्वसनीयता क्या है। इस तरह से अडानी को उनका साथ मिलता नजर आ रहा है। अब इसे राजनीति के हिसाब से देखें तो महाविकास अघाड़ी में वो शिवसेना और कांग्रेस के साथ घटक भी हैं। अगर सावरकर(Veer Savarkar) और अडानी के मुद्दे पर उनके नजरिए को देखें तो कहीं ना कहीं उनका स्टैंड राहुल गांधी(Rahul Gandhi) से अलग है।

जेपीसी की मांग का औचित्य नहीं

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अडानी मुद्दे की जांच के लिए एक समिति की घोषणा के बाद उनका कहना है कि जेपीसी(JPC probe in Gautam Adani case) की मांग अप्रासंगिक है। इस तरह से कांग्रेस के सहयोगियों ने ही राहुल गांधी के विचारों को खारिज कर दिया। उन्होंने जेपीसी को अप्रासंगिक करार देने के पीछे वजह भी बताई।आज संसद में किसके पास बहुमत है, वो सत्ताधारी पार्टी है। यह मांग सत्ता पक्ष के खिलाफ थी। सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ जांच करने वाली समिति में सत्ता पक्ष के बहुमत वाले सदस्य होंगे। सच कैसे सामने आएगा, यह बड़ा विषय है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच करे जहां कोई प्रभाव नहीं है, तो सच्चाई सामने आने की बेहतर संभावना है। और एक बार जब सुप्रीम कोर्ट(Supreme court of India) ने मामले की जांच के लिए एक समिति की घोषणा की, तो जेपीसी की कोई आवश्यकता नहीं थी। शरद पवार के नजरिए पर कांग्रेस ने कहा कि एनसीपी सुप्रीमो का अलग रुख हो सकता है लेकिन 19 समान विचार वाले विपक्षी दलों की राय यही है कि अडानी के मुद्दे पर जेपीसी होनी चाहिए।

हिंडेनबर्ग की विश्वसनीयता पर सवाल

शरद पवार ने हिंडनबग की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाया। उन्होंने कहा कि किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा खड़ा कर दिया। पहले भी ऐसे बयान दिए गए, जिससे बवाल मच गया। लेकिन इस बार मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से ज्यादा था। हमने बयान देने वाले का नाम नहीं सुना। बैकग्राउंड क्या है?.जब ऐसे मुद्दे उठाते हैं तो देश में हंगामा खड़ा करते हैं तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। हम इस तरह की चीजों को नजरअंदाज नहीं कर सकते और ऐसा लगता है गौतम अडानी को निशाना बनाया गया है।
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ललित राय author

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