'गौतम अडानी पर शरद पवार का विचार ही एनसीपी का भी', अब क्या करेगी कांग्रेस
Sharad Pawar on Gautam Adani Issue:सियासत में तोल मोल के बोल को समझना इतना आसान नहीं होता। अभी दो दिन पहले वीर सावरकर के मुद्दे पर एनसीपी मुखिया शरद पवार ने राहुल गांधी का कुछ हद तक बचाव किया। लेकिन गौतम अडानी के मुद्दे पर जेपीसी की मांग उन्हें बेमानी नजर आ रही है। शरद पवार के बयान के ठीक बाद उनके भतीजे अजीत पवार ने साफ किया कि पवार साहब का निजी विचार ही पार्टी का विचार है।
शरद पवार, एनसीपी प्रमुख
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि इस तरह के बयान का मतलब क्या है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि जब आप किसी के साथ गढबंधन में ना हों तो तीखे, कड़वे या स्पष्ट बयान को समझा जा सकता है, हालांकि गठबंधन में रहते हुए राजनीतिक दल के नेता साफ साफ कुछ बचने की कोशिश करते हैं। आप को याद होगा कि एनडीए सरकार(NDA government) की अगुवाई जब अटल बिहारी वाजपेयी कर रहे थे तो उस वक्त ममता बनर्जी और जयललिता दोनों हमालवर रहती थीं। हालांकि जब राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए गठबंधन करते हैं तो वे किसी साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर एक होते हैं।
अब आप अगर महाराष्ट्र को देखें तो महाविकास अघाड़ी(Maha vikas aghadi) सरकार में नहीं है। लिहाजा किसी भी दल को किसी तरह की बाध्यता नहीं है। लेकिन आप जब तक गठबंधन के हिस्सा हैं तो उसकी एकता बनाए रखने के लिए साझा विचार पर आगे बढ़ने की जरूरत होती है। अब यदि गौतम अडानी या हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट देखें तो यह एनसीपी के लिए राजनीतिक रास्ता तय करने का साधन मात्र है। लिहाजा शरद पवार के बयान को उस संदर्भ में देखना चाहिए। अब अजीत पवार(Ajit pawar on jpc probe) ने जब यह कह दिया कि शरद पवार के विचार ही पार्टी के विचार है तो कांग्रेस के सामने घोर मुश्किल है। कांग्रेस या तो एनसीपी से अलग रास्ता तलाशे या बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के हमले को झेलने के लिए तैयार रहे।
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