'गौतम अडानी पर शरद पवार का विचार ही एनसीपी का भी', अब क्या करेगी कांग्रेस

Sharad Pawar on Gautam Adani Issue:सियासत में तोल मोल के बोल को समझना इतना आसान नहीं होता। अभी दो दिन पहले वीर सावरकर के मुद्दे पर एनसीपी मुखिया शरद पवार ने राहुल गांधी का कुछ हद तक बचाव किया। लेकिन गौतम अडानी के मुद्दे पर जेपीसी की मांग उन्हें बेमानी नजर आ रही है। शरद पवार के बयान के ठीक बाद उनके भतीजे अजीत पवार ने साफ किया कि पवार साहब का निजी विचार ही पार्टी का विचार है।

शरद पवार, एनसीपी प्रमुख

Sharad Pawar on Gautam Adani Issue: गौतम अडानी के मुद्दे पर अब तस्वीर धीरे धीरे साफ हो रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने जेपीसी मांग को ठुकरा दिया है। लेकिन विपक्ष हमलवार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे(Mallikarjun kharge) ने कहा था कि वो भी जानते हैं कि जेपीसी में सरकार का बहुमत है लेकिन विपक्षी दलों के सांसदों की वजह से कम से कम कुछ सच्चाई तो जरूर सामने आती। लेकिन एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि गौतम अडानी को निशाना बनाया जा रहा है, आखिर आप हिंडेनबर्ग (Hindenburg report)की रिपोर्ट पर भरोसा कैसे कर सकते हैं। अब उनके इस बयान को विपक्षी एकता खासतौर से महाराष्ट्र की राजनीति में बिखराव के तौर पर देखा गया तो कांग्रेस(Congress party on JPC) की तरफ से खास बयान जारी किया गया कि भले ही शरद पवार का नजरिया कुछ और हो कम से कम 19 विपक्षी दल पार्टी के स्टैंड से सहमत हैं। लेकिन अब एनसीपी के एक दूसरे कद्दावर नेता अजीत पवार जो शरद पवार के भतीजा हैं उन्होंने कहा कि जब पवार साहब इंटरव्यू दे रहे थे तो उन्होंने भी देखा और जो उनका निजी विचार ही पार्टी का भी विचार है।

क्या कहते हैं जानकार

अब सवाल यह है कि इस तरह के बयान का मतलब क्या है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि जब आप किसी के साथ गढबंधन में ना हों तो तीखे, कड़वे या स्पष्ट बयान को समझा जा सकता है, हालांकि गठबंधन में रहते हुए राजनीतिक दल के नेता साफ साफ कुछ बचने की कोशिश करते हैं। आप को याद होगा कि एनडीए सरकार(NDA government) की अगुवाई जब अटल बिहारी वाजपेयी कर रहे थे तो उस वक्त ममता बनर्जी और जयललिता दोनों हमालवर रहती थीं। हालांकि जब राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए गठबंधन करते हैं तो वे किसी साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर एक होते हैं।

अब आप अगर महाराष्ट्र को देखें तो महाविकास अघाड़ी(Maha vikas aghadi) सरकार में नहीं है। लिहाजा किसी भी दल को किसी तरह की बाध्यता नहीं है। लेकिन आप जब तक गठबंधन के हिस्सा हैं तो उसकी एकता बनाए रखने के लिए साझा विचार पर आगे बढ़ने की जरूरत होती है। अब यदि गौतम अडानी या हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट देखें तो यह एनसीपी के लिए राजनीतिक रास्ता तय करने का साधन मात्र है। लिहाजा शरद पवार के बयान को उस संदर्भ में देखना चाहिए। अब अजीत पवार(Ajit pawar on jpc probe) ने जब यह कह दिया कि शरद पवार के विचार ही पार्टी के विचार है तो कांग्रेस के सामने घोर मुश्किल है। कांग्रेस या तो एनसीपी से अलग रास्ता तलाशे या बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के हमले को झेलने के लिए तैयार रहे।

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