कभी शरद यादव ने लालू को दिलाया था बिहार का ताज,जानें फिर क्यों दोनों बने 'दुश्मन' दिलचस्प है कहानी

Sharad Yadav Passes away and Relation With Lalu Yadav: शरद यादव और लालू प्रसाद यादव की करीबी और दूरी हमेशा से चर्चा में रही है। इसलिए जब शरद यादव के निधन का समाचार, सिंगापुर में ईलाज करा रहे लालू प्रसाद तक पहुंचा, तो उन्होंने अपने शोक संदेश में उन्हें अपना बड़ा भाई कहा।

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शरद यादव का निधन

Sharad Yadav Passes away and Relation With Lalu Yadav: समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन हो गया है। जे.पी.आंदोलन से निकलने शरद यादव की पहचान मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने वाले अहम नेताओं में होती रही है। इसके अलावा जनता दल के एक कद्दावर नेता के रूप में भी शरद यादव की पहचान रही है। खास तौर से जब केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकारें रही, उस वक्त शरद यादव की राजनीतिक हैसियत चरम पर थी। आलम यह था कि वह अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री जैसे अहम पद पर भी रहे। यह वह दौर था, जब शरद यादव ने लालू प्रसाद यादव से नाता तोड़ नीतीश कुमार का दामन थाम लिया था। और एनडीए के संयोजक के रुप में अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता, मजबूती से बनाई रखी थी।

लालू यादव को दिलाई थी मुख्यमंत्री की कुर्सी

शरद यादव और लालू प्रसाद यादव की करीबी और दूरी हमेशा से चर्चा में रही है। इसलिए जब शरद यादव के निधन का समाचार, सिंगापुर में ईलाज करा रहे लालू प्रसाद तक पहुंचा, तो उन्होंने अपने शोक संदेश में उन्हें अपना बड़ा भाई कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि वे महान समाजवादी नेता थे, स्पष्टवादी थे। उनसे मैं कभी-कभी लड़ भी लेता था, मतभेद होता, लेकिन मनभेद नहीं हुआ। लालू प्रसाद के राजनीतिक करियर में शरद यादव का अहम योगदान रहा है।

बात 1990 की है जब बिहार में जनता दल से मुख्यमंत्री का चुनाव होना था। उस वक्त वी.पी.सिंह के उम्मीदवार राम सुंदर दास को की जगह लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाने में शरद यादव का ही हाथ था।

लेकिन बाद में आ गई दूरी

लालू प्रसाद यादव ने भी इस अहसान को चुकाया और और उनकी मदद से बिहार के मधेपुरा से शरद यादव न केवल चुनाव जीतें, बल्कि उसे अपना कर्मक्षेत्र बनाया। लेकिन बाद में उन्हीं लालू प्रसाद यादव से तल्खियां बढ़ती चली गई। और हालात ऐसे हो गए कि शरद यादव और लालू यादव जनता दल अध्यक्ष पद को लेकर आमने-सामने हो गए। चारा घोटाले में फंसे लालू यादव ने स्थिति को भांपते हुए राष्ट्रीय जनता दल का गठन कर लिया। और यहां से दोनों के बीच राजनीतिक दूरियां आ गईं। और उसी मधेपुरा से लालू यादव ने 1998 के लोक सभा चुनाव में शरद यादव को हरा दिया। जहां पर उन्हें खुद लालू ने मजबूत किया था। लेकिन 1999 में एनडीए उम्मीदवार के रूप में शरद यादव ने बदला ले लिया और लालू यादव को पटखनी दे दी।

इसके बाद 2013 में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव अभियान की कमान मिलने तक शरद यादव एनडीए से जुड़े रहे। लेकिन मोदी के पास कमान आने के बाद उन्होंने एनडीए संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। फिर नीतीश कुमार से भी उनकी दूरियां हो गई। और वह जद (यू) से भी निष्कासित कर दिए गए। आखिरी दौर में फिर लालू प्रसाद यादव से उनकी करीबियां बढ़ी और उन्होंने राजद का दामन थाम लिया।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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