शेख हसीना ने 1975 में भारत में शरण ली तो, लाजपत नगर के इस घर में छिपकर रही

Sheikh Hasina: बांग्लादेश में लगातार बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर सोमवार शाम भारत पहुंच गईं। इससे पहले भी वह 1975 और 2004 में भारत में शरण ले चुकी हैं। 1975 में जब उन्होंने शरण ली तो पहले उन्हें दिल्ली के लाजपत नगर इलाके के एक मकान में रखा गया। चलिए जानते हैं इस बारे में।

लाजपत नगर में रहती थीं शेख हसीना

बांग्लादेश में बिगड़ते हालात (Bangladesh Unrest) के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने सोमवार दोपहर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और वह भारत आ गईं। भारत में उनके विमान को दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस (Hidon Airbase) पर उतारा गया। देर शाम तक शेख हसीना, हिंडन एयरबेस पर ही रहीं, यहीं पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने उनसे मुलाकात की। बाद में देर शाम उन्हें हिंडन एयरबेस से एक सुरक्षित जगह पर लेकर जाया गया। यह पहला मौका नहीं है, जब शेख हसीना इस तरह से भारत में छिपी हैं। इससे पहले भी वह 1975 से 1981 तक दिल्ली के एक इलाके में छिपकर रही थीं।

भागकर भारत आईं शेख हसीना

बांग्लादेश में हिंसा और बढ़ते आक्रोश के बीच शेख हसीना ने देश छोड़ दिया। वह भारत तो आ गईं, लेकिन उनके यहां से यूनाइटेड किंगडम जाने की बातें भी कही जा रही हैं। शेख हसीना ने सोमवार साम अपनी बहन के साथ गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड किया। जिस तरह से शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ा और भारत आ गईं, उससे एक बार फिर 1975 की यादें ताजा हो गईं। उस समय शेख हसीना ने भारत में शरण मांगी थी।

क्या हुआ था 1975 में

25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के इशारे पर भारत में आपातकाल (Emergency) लागू कर दी गई थी। हालात पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी अच्छे नहीं थे। अभी बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिले करीब साढ़े 3 साल ही हुए थे, कि वहां एक बार फिर हालात बिगड़ने लगे। बांग्लादेश को पाकिस्तान (Pakistan) के चंगुल से छुड़ाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) जो उस समय राष्ट्रपति थे, के खिलाफ रोष बढ़ने लगा। उन पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोप लगने लगे। इसी बीच 15 अगस्त 1975 की सुबह बांग्लादेश सेना के कुछ जूनियर अधिकारी उनके घर पहुंचे और ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में मुजीबुर रहमान के साथ ही उनकी पत्नी, तीन बेटे, बहुएं और बच्चों सहित कुल 18 लोग मारे गए। लेकिन उस नरसंहार में शेख हसीना और उनकी बहन बच गईं। इसके बाद पूरे देश में हालात बेकाबू हो गए और सैन्य शासन लगाना पड़ा था।

शेख हसीना ने भारत में शरण ली

1975 में उस समय शेख हसीना ने अपने पति, बच्चों और बहन के साथ भारत में शरण ली। वह किसी अन्य नाम से दिल्ली के पंडारा रोड इलाके में 1975 से 1981 तक 6 साल रहे। दरअसल शेख हसीना उस नरसंहार के समय अपने पति MA वाजेद मिया के साथ पश्चिमी जर्मनी में थीं और उनके पास भारत में शरण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। शेख हसीना को आज भी वह समय याद है और वह कई बार उसका जिक्र करती हैं। वह बताती हैं कि कैसे उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तुरंत संदेश भेजा था कि वह उन्हें सुरक्षा और शरण देना चाहती हैं। वह कहती हैं उस समय हमारे दिमाग में यही चल रहा था कि अगर हम दिल्ली गए तो वहां से अपने देश जाना आसान होगा। हमें यह भी पता चल सकेगा कि परिवार के कितने लोग जिंदा हैं।

दिल्ली में कड़ी सुरक्षा के बीच रहीं

हसीना ने साल 2022 के एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने तुरंत जर्मनी छोड़ने का निर्णय लिया और अपने दो बच्चों के साथ दिल्ली आ गईं। यहां उन्हें एक सेफ हाउस में रखा गया, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, क्योंकि उनकी जिंदगी को खतरा बना हुआ था। दिल्ली आने के बाद उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी। उनसे मिलने के बाद ही शेख हसीना को पता चला था कि उनके परिवार के कुल 18 लोगों की हत्या हुई है। उस समय इंदिरा गांधी ने शेख हसीना और उनके परिवार के लिए पूरी व्यवस्था की। शेख हसीना के पति के लिए नौकरी की व्यवस्था की और वह सभी पंडारा रोड के एक घर में रहे।

भारतीय नेताओं से दोस्ती

शेख हसीना ने अपने उस इंटरव्यू में बताया था कि इसी दौरान भारत के कई नेताओं से उनके संबंध प्रगाढ़ हुए। इसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी थे और गांधी परिवार के साथ भी संबंध मजबूत हुए। भारत में रहने के दौरान न सिर्फ उन्हें सुरक्षा की गारंटी मिली, बल्कि उन्हें अपने देश में भी संबंध बनाने में मदद मिली, जो बाद में उनके राजनीतिक करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

बच्चों के लिए मुश्किल थे वो दिन

शेख हसीना ने 2022 के अपने उस इंटरव्यू में बताया था कि दिल्ली में शरण लेने के दौरान पहले दो-तीन साल बहुत ही मुश्किल थे। उन्होंने बताया कि विशेषतौर पर उनके बच्चों (एक बेटा और एक बेटी) के लिए जो उस समय बहुत छोटे थे। उन्होंने बताया कि बच्चे रोते थे और अक्सर नाना-नानी के पास ले जाने की जिद करते थे।

लाजपत नगर में भी रहीं शेख हसीना

शेख हसीना 1975 में दिल्ली आने के बाद शुरुआत में कुछ समय 56 रिंग रोड, लाजपत नगर-3 में रहीं। इसके बाद उन्हें दिल्ली के लुटियन्स इलाके के पंडारा रोड के घर में ठराया गया। शेख हसीना उस समय शरण देने के लिए भारत और गांधी परिवार की आभारी रहती हैं। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि उस दौरान अक्सर गांधी परिवार से मुलाकात होती थी।

और फिर बांग्लादेश लौंटीं शेख हसीना

आखिरकार 17 मई 1981 को शेख हसीना वापस बांग्लादेश लौटीं। यहां पहुंचकर वह अपने पिता की पार्टी आवामी लीग की जनरल सेक्रेटरी चुनी गईं। बांग्लादेश पहुंचकर भी उनकी जिंदगी आसान नहीं रहीं। उन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोप में वह जेल भी गईं। लेकिन अंतत: 1996 में सत्ता के शिखर तक पहुंचीं और देश की प्रधानमंत्री बनीं। हालांकि, 2001 तक प्रधानमंत्री रहने के बाद उनकी जिंदगी में एक बार फिर उथल-पुथल हुई और 2004 में खराब समय में उन्हें फिर भारत आना पड़ा। अब 2024 में एक बार फिर बांग्लादेश में अराजक स्थिति है तो शेख हसीना भागकर भारत ही आयी हैं।
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